

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी. नारायणन ने मंगलवार को ओस्मानिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने बताया कि इसरो एक ऐसे रॉकेट पर काम कर रहा है, जो 40 मंजिला इमारत जितना ऊंचा होगा और पृथ्वी की निचली कक्षा में 75 टन भेजने की क्षमता रखेगा।
इसरो प्रमुख वी. नारायणन
New Delhi: इसरो अपने अंतरिक्ष मिशन को लेकर लगातार प्रगति कर रहा है। वी. नारायणन ने दीक्षांत समारोह के दौरान कहा कि इस साल इसरो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करेगा, जिनमें से एक प्रमुख परियोजना एनएवीआईसी उपग्रह है। इसके अलावा, इसरो एन1 रॉकेट और भारतीय नौसेना के लिए सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-7आर को भी लॉन्च करने की योजना बना रहा है। जीसैट-7आर उपग्रह, जो मौजूदा जीसैट-7 (रुक्मिणी) उपग्रह की जगह लेगा, भारतीय नौसेना के संचार को और भी बेहतर बनाएगा।
नारायणन ने इस अवसर पर याद दिलाया कि जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था, तो उसकी क्षमता सिर्फ 35 किलोग्राम पेलोड भेजने की थी और उसका वजन 17 टन था। अब इसरो 75 किलोग्राम पेलोड भेजने में सक्षम रॉकेट बना रहा है, जो 40 मंजिला इमारत जितना ऊंचा होगा। यह इसरो के लिए एक अहम मील का पत्थर है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता का प्रतीक है।
भारत के उपग्रहों की बढ़ती संख्या
नारायणन ने यह भी बताया कि वर्तमान में भारत के पास कक्षा में 55 उपग्रह हैं, और अगले तीन से चार वर्षों में इनकी संख्या तीन गुना बढ़ने का अनुमान है। इसका मतलब है कि भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को और भी मजबूत करेगा, जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत के प्रभाव को भी बढ़ाएगा।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
इसरो की योजनाओं के तहत भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इसरो द्वारा सफलतापूर्वक किए गए मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक सशक्त राष्ट्र बना दिया है। वी. नारायणन ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष की दुनिया में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उनके अनुसार, इसरो द्वारा किए गए अंतरिक्ष अभियानों की सफलता ने भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक अग्रणी स्थान दिलाया है।
नारायणन को विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद उपाधि
इस दीक्षांत समारोह के दौरान, तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने वी. नारायणन को उनके विज्ञान में योगदान के लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा। नारायणन के नेतृत्व में इसरो ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं, और उनके योगदान को इस सम्मान के रूप में सराहा गया।
अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो की महत्वाकांक्षाएं
इसरो की योजनाओं में केवल उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण ही नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष नीति को एक नई दिशा देना भी शामिल है। नारायणन ने इस दिशा में किए गए प्रयासों के बारे में भी बात की और बताया कि भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में तकनीकी रूप से और ज्यादा आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसरो के लिए यह साल कई नई परियोजनाओं और अभियानों से भरा होगा। जहां एक ओर भारतीय उपग्रहों की संख्या बढ़ाई जाएगी, वहीं दूसरी ओर अंतरिक्ष में भारत का प्रभाव और मजबूत होगा। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब न केवल राष्ट्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भी भारत के नेतृत्व को स्थापित करेगा।