हिंदी
भारत ने इतिहास में कई बार अमेरिकी दबावों का साहसिक और आत्मनिर्भरता से सामना किया है। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री का गेहूं के बदले आत्मसम्मान का चयन हो या 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों पर अमेरिका के प्रतिबंधों का जवाब, भारत ने हर बार अपनी संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दी है। आज फिर जब अमेरिका ने 25% टैरिफ थोप दिए हैं, भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय होती है, न कि किसी वैश्विक ताकत की धमकी से।
भारत बनाम अमेरिका
New Delhi: 1947 में आजादी के बाद भारत ने जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गुट निरपेक्षता की नीति अपनाई। यह अमेरिका के लिए असहज करने वाला निर्णय था क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका दुनिया को अपनी आंखों से देखने लगा था। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि वह किसी दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा।
जब अमेरिका ने गेहूं रोकने की धमकी दी
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग के दौरान भारत गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा था। अमेरिका PL-480 स्कीम के तहत गेहूं भेजता था। युद्ध के बीच राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने धमकी दी कि युद्ध नहीं रोका तो गेहूं बंद कर देंगे। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि बंद कर दीजिए गेहूं देना। हम भूखे रह लेंगे, लेकिन आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगे। इस वक्त शास्त्री जी ने "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया और देश को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने जनता से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने का अनुरोध किया और खुद भी इसका पालन किया।
पोखरण परमाणु परीक्षण और अमेरिका का प्रतिबंध
11 और 13 मई 1998 को भारत ने पोखरण-II परमाणु परीक्षण किए। अमेरिका ने तुरंत ग्लेन संशोधन के तहत भारत पर कड़े प्रतिबंध थोप दिए। इनमें हथियारों की बिक्री रोकना, आर्थिक सहायता और ऋण पर रोक और विश्व बैंक जैसे संस्थानों से भारत को मिलने वाली मदद में अड़चन शामिल थे। परंतु अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार डरी नहीं। भारत ने कहा कि ये परीक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु संपन्न पड़ोसियों को देखते हुए।
कूटनीतिक समझदारी से अमेरिका को झुकाया
भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह और अमेरिका के स्ट्रोब टैलबोट के बीच लंबी बातचीत हुई। भारत ने अपने परमाणु सिद्धांत विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध को स्पष्ट किया। अमेरिका को जल्द ही समझ आ गया कि भारत को अलग-थलग करना संभव नहीं है। 1999 तक अधिकांश प्रतिबंध हट गए और 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर ला दिया।
1974 में भी भारत ने अमेरिका को झुकने नहीं दिया
भारत ने पहली बार 1974 में पोखरण-I परमाणु परीक्षण किया था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह कदम भारत की वैज्ञानिक और सामरिक शक्ति का प्रदर्शन था। अमेरिका ने तब भी भारत पर परमाणु ईंधन, तकनीकी सहयोग और आर्थिक सहायता पर प्रतिबंध लगा दिए थे। पर भारत ने झुकने की बजाय स्वदेशी तकनीकी विकास और नई साझेदारियों से अपनी परमाणु नीति को जारी रखा।
2025 में फिर अमेरिका का नया टैरिफ हमला
अब एक बार फिर इतिहास खुद को दोहरा रहा है। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ये टैरिफ 7 अगस्त से लागू होंगे। भारत ने इन टैरिफों के जवाब में संयम दिखाते हुए स्पष्ट किया कि वह “जवाबी टैरिफ” नहीं लगाएगा। लेकिन व्यापारियों और उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।