दिल्लीवासियों को मिलेगी प्रदूषण से राहत, इस तारीख को होगी पहली कृत्रिम बारिश, क्लाउड सीडिंग का टेस्ट सफल

देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार को प्रदूषण से निजात पाने के लिए आर्टिफिशियल बारिश का एक्सपेरिमेंट क्लाउड सीडिंग का टेस्ट सफल हो गया है। हवा की गुणवत्ता बढ़ाने और प्रदूषण की मात्रा को कम करने के लिए दिल्ली सरकार राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी कर रही है।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 24 October 2025, 5:10 AM IST
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New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए एक अनूठी पहल की दिशा में कदम बढ़ाया है। राजधानी में पहली बार क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) कराने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुरुवार को क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल भी पूरा कर लिया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, 28, 29 और 30 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में बादलों की पर्याप्त उपस्थिति की संभावना है।

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने बताया कि यह पहल न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का एक वैज्ञानिक तरीका भी स्थापित करने जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि इस नवाचार के माध्यम से राजधानी की हवा को स्वच्छ और वातावरण को संतुलित बनाया जा सके।

इसी विमान से कराई जाएगी कृत्रिम बारिश

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस दिन को दिल्ली के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया। ये ट्रायल आईआईटी कानपुर ने किया। मौसम विभाग के मुताबिक, 28-29-30 अक्टूबर को दिल्ली के ऊपर बादल छाए रहेंगे। दिल्ली सरकार 29 अक्टूबर को कृत्रिम बारिश कराने के लिए भौतिक परीक्षण और अनुमति के साथ बिल्कुल तैयार है।

क्लाउड सीडिंग क्या है?

क्लाउड सीडिंग मौसम बदलने की तकनीक है। इसमें नम बादलों में रसायन डालकर पानी की बूंदों को जोड़ा जाता है, ताकि वे भारी होकर बरस पड़ें। ये सामान्य बारिश से अलग है, क्योंकि यहां इंसान मदद करता है। दिल्ली में ये प्रदूषण साफ करने के लिए है। प्रोजेक्ट की लागत ₹3.21 करोड़ है, जो आईआईटी कानपुर, आईएमडी और दिल्ली सरकार मिलकर चला रहे हैं।

दिल्ली में अब जिस विमान से कृत्रिम बारिश कराने की बात हो रही है, उसमें 8-10 केमिकल पैकेट लगे होंगे, जिन्हें बटन दबाकर ब्लास्ट किया जाएगा। दिल्ली का प्रोजेक्ट पांच संशोधित सेसना विमानों पर आधारित है।

हर विमान 90 मिनट की उड़ान भरेगा। इस बरसात से धुआं, धूल और जहरीले कण धुल जाएंगे और राजधानी के लोगों को वायु प्रदूषण से राहत मिलेगी।

कैसे होगी कृत्रिम बारिश

कृत्रिम वर्षा कराने के लिए क्लाउड सीडिंग एक प्रकार से मौसम में बदलाव का वैज्ञानिक तरीका है। इसके तहत आर्टिफिशियल तरीके से बारिश करवाई जाती है। इसके लिए विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है और उनसे सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड छोड़े जाते हैं।

इससे बादलों में पानी की बूंदें जम जाती हैं. यही पानी की बूंदें फिर बारिश बनकर जमीन पर गिरती हैं। हालांकि, यह तभी संभव होता है, जब वायुमंडल में पहले से पर्याप्त मात्रा में बादल मौजूद हों और हवा में नमी हो यानी कम से कम 40 फीसदी पानी के साथ इतनी ही मात्रा में बादल।

इस पहल से न केवल प्रदूषण कम करने की उम्मीद है, बल्कि यह विज्ञान और तकनीक के माध्यम से राजधानी में नई दिशा तय करने वाला कदम भी माना जा रहा है।

 

 

 

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Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 24 October 2025, 5:10 AM IST