

दिल्ली-NCR में इन दिनों मौसम बदलने और पॉल्यूशन के बढ़ते स्तर की वजह से फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हॉस्पिटल्स और क्लीनिकों में सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और शरीर में दर्द के मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। डॉक्टरों ने इसे आम फ्लू समझने की बजाय गंभीरता से लेने की सलाह दी है।
H3N2 फ्लू
New Delhi: H3N2 वायरस इन्फ्लूएंजा ए का एक सबटाइप है जिसमें दो प्रमुख प्रोटीन होते हैं, हेमाग्लूटिनिन (H3) और न्यूरामिनिडेस (N2)। यह वायरस समय-समय पर म्यूटेट होता रहता है, जिससे इसके प्रभाव में वृद्धि हो सकती है। दिल्ली-NCR में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 50 से 70 प्रतिशत घरों में कम से कम एक सदस्य इस फ्लू के लक्षणों से पीड़ित पाया गया है। मार्च 2025 के बाद से इस फ्लू के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है, जब पहले यह आंकड़ा 54 प्रतिशत था।
• छोटे बच्चे
• बुजुर्ग (65 वर्ष से अधिक उम्र)
• गर्भवती महिलाएं
• पहले से बीमार लोग (जैसे डायबिटीज, दिल और फेफड़े से जुड़ी समस्याओं वाले लोग)
H3N2 फ्लू
डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू से बचने के लिए सबसे प्रभावी तरीका हर साल इसका टीका लगवाना है, क्योंकि यह वायरस के प्रकोप को कम कर सकता है। इसके अलावा, किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से पहले मास्क पहनना और हाथों को बार-बार धोना भी जरूरी है। इसके अलावा, सब्जियों, प्रोटीन-रिच फूड्स और पर्याप्त पानी का सेवन शरीर को मजबूत बनाता है, जिससे इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के इंटर्निस्ट डॉ. चटर्जी के अनुसार, हर व्यक्ति का शरीर वैक्सीनेशन पर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है। स्वस्थ और युवा व्यक्ति आम तौर पर टीका लगने के बाद मजबूत होते हैं, जबकि बुजुर्ग, बच्चे या उन लोगों को एंटीबॉडी बनने में थोड़ा समय लगता है जिनका स्वास्थ्य पहले से कमजोर होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि वैक्सीनेशन उनके लिए प्रभावहीन है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि टीके का असर दिखने में लगभग दो हफ्ते का समय लगता है। यदि टीका लगने के बाद भी फ्लू के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
• लगातार खांसी और जुकाम
• गले में खराश और दर्द
• सिरदर्द और बदन दर्द
• बुखार और ठंड लगना
• थकान और कमजोरी
सफदरजंग हॉस्पिटल के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर के अनुसार, वायरस और बैक्टीरिया के शुरुआती लक्षण मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए इन लक्षणों को हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
• अगर बुखार दवाई लेने के बावजूद ठीक न हो।
• सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और भारीपन महसूस हो।
• चक्कर आना, बहुत कमजोरी महसूस होना।
• पुरानी बीमारी (जैसे दिल की बीमारी या दमा) अचानक बिगड़ जाए।
• लक्षण अचानक ठीक हो कर फिर से बिगड़ जाएं।