

मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुंबई पुलिस ने आजाद मैदान खाली करने का नोटिस दिया है। यह आंदोलन पांचवें दिन में प्रवेश कर चुका है, जिसमें जरांगे ने अनिश्चितकालीन अनशन के चौथे दिन जल त्याग करने की घोषणा की।
मनोज जरांगे को पुलिस ने दिया नोटिस
Mumbai: मुंबई में मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन का दौर लगातार गंभीर होता जा रहा है। आंदोलन के नेता मनोज जरांगे को मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद आजाद मैदान खाली करने का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस आंदोलन के पांचवें दिन, यानी दो सितंबर की शाम तक आंदोलन स्थल को खाली करने का निर्देश देता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। अदालत ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों को दो सितंबर की शाम तक सभी सड़कों और आंदोलन स्थल को खाली करना होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी आंदोलन में हुई शर्तों के कथित उल्लंघन के मद्देनजर की है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुरंत एक समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे भी मौजूद थे।
मनोज जरांगे को पुलिस ने दिया नोटिस
सरकार की इस सख्त कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वे मराठा आरक्षण आंदोलन की मांगों को अनदेखा कर रही है। विपक्ष का कहना है कि सरकार आंदोलनकारियों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है, जबकि समस्या का समाधान बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए।
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मनोज जरांगे ने आंदोलन के चौथे दिन अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठकर अपनी मांग को और भी मजबूत किया। जल त्याग करने की घोषणा के बाद उनके समर्थकों में गहरा आक्रोश देखने को मिला। यह कदम सरकार के प्रति कड़ा संदेश माना जा रहा है कि आंदोलनकारियों का धैर्य समाप्त हो रहा है। जरांगे ने साफ किया है कि वे मराठा आरक्षण की मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रखेंगे और सरकार को कोई समझौता स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने अपने समर्थकों को भी संयम बरतने और शांतिपूर्ण आंदोलन करने की अपील की है।
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मराठा आरक्षण आंदोलन अब सिर्फ आजाद मैदान तक सीमित नहीं है। प्रदर्शनकारी शहर की मुख्य सड़कों और चौराहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे यातायात बाधित हो रहा है और आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी और पुलिस प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आंदोलनकारियों की बढ़ती संख्या और आंदोलन की सख्त मांगें स्थिति को और जटिल बना रही हैं।