मराठा आरक्षण आंदोलन पर गरमाई सियासत: तीसरे दिन भी जारी अनशन, सरकार से न बन पाई कोई बात

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर राजनीति लगातार उबाल पर है। मराठा नेता मनोज जरांगे का मुंबई के आजाद मैदान में अनशन तीसरे दिन भी जारी है। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे हैं। सरकार बातचीत की कोशिश कर रही है, लेकिन जरांगे पीछे हटने को तैयार नहीं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 31 August 2025, 11:56 AM IST
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Maharashtra: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर से सातवें आसमान पर पहुंच गई है। अनशन कर रहे मनोज जरांगे और उनके समर्थकों का प्रदर्शन मुंबई के आजाद मैदान में हो रहा है, जो राज्य की राजधानी में मराठा समाज की ताकत और नाराजगी का प्रतीक बन गया है। अनशन के तीसरे दिन प्रदर्शनकारियों की संख्या और बढ़ गई है। भीड़ इतनी है कि कुछ लोग सड़क पर ही नहाते और विश्राम करते नजर आए।

प्रदर्शन से मुंबई में ट्रैफिक पर असर

प्रदर्शन की वजह से मुंबई के कई हिस्सों में ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है। आजाद मैदान के आसपास के इलाके पूरी तरह भीड़ से भरे हुए हैं। पुलिस और ट्रैफिक कंट्रोल विभाग की टीमें मौके पर तैनात हैं, लेकिन भीड़ को नियंत्रित करना आसान नहीं हो रहा है।

मराठा आरक्षण आंदोलन पर गरमाई सियासत

सरकार की बातचीत की कोशिश, जरांगे ने किया इनकार

शनिवार को महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक टीम ने मनोज जरांगे से बातचीत का प्रयास किया। सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश संदीप शिंदे के माध्यम से सरकार ने अनशन खत्म करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन जरांगे ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था कि आरक्षण का फैसला कोई रिटायर्ड जज नहीं कर सकता। यह सरकार की जिम्मेदारी है।

देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला

जरांगे ने इस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने खुद सामने आने की बजाय एक न्यायाधीश को बातचीत के लिए भेजा। उन्होंने पूछा कि जब सरकार को फैसला लेना है तो न्यायाधीश क्यों भेजे जा रहे हैं? जरांगे ने स्पष्ट कहा कि वह अनशन तभी तोड़ेंगे जब सरकार मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने का ठोस कदम उठाएगी।

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जरांगे की प्रमुख मांगें क्या हैं?

मनोज जरांगे की मांग है कि मराठा समाज को कुंभी जाति के अंतर्गत मान्यता दी जाए, जो कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में आता है। इससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

• मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुंभी घोषित किया जाए
• हैदराबाद और सातारा के गजट नोटिफिकेशन को कानून में बदला जाए
हालांकि इन मांगों का ओबीसी नेताओं द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है, जिससे सामाजिक तनाव और गहराता दिख रहा है।

सरकार और विपक्ष का रुख

राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि इस मुद्दे पर कैबिनेट की उप-समिति ने विस्तार से चर्चा की है और सरकार इसे सकारात्मक तरीके से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन जरूरी है। जस्टिस संदीप शिंदे ने भी स्पष्ट किया कि वह कोई रिपोर्ट नहीं दे सकते क्योंकि जातिगत प्रमाणपत्र देना पिछड़ा वर्ग आयोग का अधिकार है, न कि किसी रिटायर्ड जज का।

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प्रदर्शन स्थल पर सुविधाओं की कमी पर नाराजगी

प्रदर्शनकारी जहां सरकार से आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वहीं उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। मनोज जरांगे ने बीएमसी आयुक्त भूषण गागरानी पर आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों को पानी और भोजन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। महिलाओं और बुजुर्गों के लिए शौचालय और स्वच्छता की सुविधाओं का अभाव भी गंभीर मुद्दा बन गया है।

भीड़ के बीच शांति बनाए रखना चुनौती

मुंबई पुलिस ने प्रदर्शन की अनुमति एक दिन और बढ़ा दी है, लेकिन बढ़ती भीड़ और प्रशासनिक चुनौती को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन और विकराल रूप ले सकता है।

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  • Maharashtra

Published : 
  • 31 August 2025, 11:56 AM IST