

मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे की मांगें मान ली हैं। कुनबी प्रमाण पत्र पर सहमति मिलने के बाद जरांगे ने अनशन खत्म करने की घोषणा की।
मनोज जरांगे की मांगें मान ली गई
New Delhi: मराठा आरक्षण को लेकर पिछले कई महीनों से चल रहे जनआंदोलन को आज बड़ी सफलता मिल गई है। सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे की प्रमुख मांगों को मानते हुए कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के प्रस्ताव पर सहमति जता दी है। इसके बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जरांगे ने पांचवें दिन अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा की और इसे 'जनता की जीत' बताया।
राज्य सरकार की कैबिनेट उप-समिति की बैठक के बाद मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवेंद्रराजे भोंसले, जय कुमार गोरे और माणिकराव कोकाटे ने आज़ाद मैदान में मनोज जरांगे से मुलाकात की। बैठक में यह तय किया गया कि सरकार आज ही सरकारी आदेश (GR) जारी करेगी जिसमें मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया को लागू किया जाएगा। जरांगे ने कहा, सरकार ने हमारी मांगे मानी हैं। जैसे ही GR आएगा, मैं अनशन समाप्त कर दूंगा और रात 9 बजे तक मुंबई से वापस चला जाऊंगा।
मनोज जरांगे ने खत्म किया अनशन
मनोज जरांगे ने बॉम्बे हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि उनके समर्थक अब मुंबई से वापस लौट जाएंगे और आंदोलन शांतिपूर्वक समाप्त होगा। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि वाहनों पर लगाए गए जुर्माने को वापस लिया जाए और आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे सितंबर तक वापस लिए जाएं, जैसा कि सरकार ने वादा किया है। उन्होंने कहा, हम आंदोलन को जीत के साथ समाप्त कर रहे हैं। ये कोई हुल्लड़बाजी नहीं, बल्कि मराठा समाज की एक गरिमामयी जीत है।
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जरांगे ने यह भी जानकारी दी कि सरकार ने मराठा आंदोलन के दौरान पीड़ित परिवारों को 15 करोड़ रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है। साथ ही, जिन आंदोलनकारियों के परिवारों के बच्चे पढ़ाई में आगे हैं, उन्हें सरकारी नौकरी देने की बात भी कही गई है। पहले केवल राज्य परिवहन बोर्ड में नौकरी की बात थी, जिसे अब सरकारी विभागों में विस्तारित किया जाएगा।
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महाराष्ट्र सरकार द्वारा कुनबी प्रमाण पत्र देने के फैसले से मराठा आरक्षण का रास्ता अब कानूनी रूप से स्पष्ट होता नजर आ रहा है। यह आंदोलन राज्य की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाल चुका है, और अब इस निर्णय से एक बड़े वर्ग को राहत मिली है।