

दशहरा 2025 को पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन होता है और साथ ही शस्त्र पूजन की परंपरा निभाई जाती है। जानें इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में।
रावण दहन के शुभ मुहूर्त
New Delhi: दशहरा हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर मानवता और धर्म की रक्षा की थी, जिससे यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा, हवन, और दान से नकारात्मकता, भय और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है और साथ ही शस्त्र पूजन की भी परंपरा है।
दशहरा के दिन शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है, जो केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सकारात्मक मानसिकता और शक्ति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। इस समय के दौरान, घरों और कार्यस्थलों में शस्त्र पूजन किया जाता है।
रावण दहन के शुभ मुहूर्त
1. शस्त्रों को एकत्रित करके पूजा स्थान पर रखें।
2. एक सफेद या लाल रंग का वस्त्र चौकी पर बिछाएं।
3. शस्त्रों को अच्छे से साफ करके उन पर गंगाजल का छिड़काव करें।
4. अब शस्त्रों पर कलावा बांधें और तिलक लगाएं।
5. भगवान श्रीराम के मंत्रों का जाप करें और ताजे फूलों की माला अर्पित करें।
6. शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और सुख-समृद्धि की कामना करें।
इस दिन रावण का पुतला जलाना एक परंपरा है, जो अधर्म और बुराई के नाश को दर्शाता है। इस वर्ष रावण दहन का समय सूर्यास्त के बाद है, जो शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। इसके बाद तुरंत रावण का पुतला दहन किया जा सकता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले शमी के पौधे के सामने झुककर विजय की कामना की थी। तभी से दशहरा पर शमी के पौधे की पूजा का महत्व बना हुआ है। शमी के पौधे के प्रभाव से जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
दशहरे के दिन देवी दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। यही कारण है कि इस दिन को शक्ति की जीत का पर्व भी कहा जाता है। मां दुर्गा की पूजा से जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि का वास होता है।
दशहरा 2025 के पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दशहरा की तिथि दशमी है, जो 19:04 तक रहेगी। नक्षत्र उत्तराषाढ़ा रहेगा, जो 09:03 तक रहेगा। प्रथम करण तैतिल है, जो 07:11 तक रहेगा, जबकि द्वितीय करण गारा 19:04 तक रहेगा। यह दिन शुक्ल पक्ष का होगा और गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन योग सुकर्माण रहेगा, जो 23:21 तक रहेगा। सूर्योदय सुबह 06:14 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 17:18 बजे होगा। चंद्रमा मकर राशि में होगा। राहुकाल का समय 13:34 से 15:02 तक रहेगा। विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 रहेगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त अभिजीत है, जो 11:43 से 12:30 तक रहेगा।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।