

लोकसभा में पेश किया गया संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 देश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। यह विधेयक विशेष रूप से उन स्थितियों से संबंधित है, जब प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाते हैं। विधेयक के अनुसार, ऐसी स्थिति में उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है।
गृह मंत्री अमित शाह (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: लोकसभा में पेश किया गया संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 देश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। यह विधेयक विशेष रूप से उन स्थितियों से संबंधित है, जब प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाते हैं। विधेयक के अनुसार, ऐसी स्थिति में उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है।
यह प्रावधान भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में जवाबदेही और नैतिकता को मजबूत करने के उद्देश्य से लाया गया है। लेकिन इसके साथ ही विपक्षी दलों का तीखा विरोध सामने आ रहा है। तो आइए जानते हैं इस बिल में क्या है, इसका मकसद क्या है और विपक्ष क्यों इसका विरोध कर रहा है।
इस विधेयक के तहत प्रस्ताव है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है, तो वह अपने पद पर नहीं रह सकेगा। यह प्रस्ताव इसलिए लाया गया है ताकि राजनीतिक पदों का दुरुपयोग न हो और संवैधानिक पदों की गरिमा बनी रहे। यह विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि कानून के सामने सभी बराबर हों – चाहे आम नागरिक हो या शीर्ष नेता।
प्रभाव का क्षेत्र | संभावित असर |
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राजनीति | गंभीर आरोप झेल रहे नेता पद से हटाए जा सकेंगे, जिससे राजनीति में नैतिक मानदंड मजबूत होंगे |
कानून व्यवस्था | VIP लोगों पर कार्रवाई आसान होगी, न्याय प्रणाली पर भरोसा बढ़ेगा |
जनता का भरोसा | लोगों को लगेगा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, लोकतंत्र में विश्वास बढ़ेगा |
संविधान की व्याख्या | शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए अलग मानदंड बन सकते हैं, जिससे नई संवैधानिक बहस शुरू हो सकती है |
विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक सरकार द्वारा राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उनके मुताबिक:
सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, "अगर किसी पर कोई आरोप न भी हो, तो भी सरकार द्वारा आरोप लगाकर हटाया जा सकता है। यह लोकतंत्र की हत्या जैसा है।"
कांग्रेस और टीएमसी जैसे दलों ने भी इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।
130वां संशोधन विधेयक एक तरफ जहां राजनीति को साफ करने का प्रयास दिखता है, वहीं दूसरी ओर इसके दुरुपयोग की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। सवाल यह नहीं कि विधेयक क्या कहता है, बल्कि यह है कि क्या इसे निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से लागू किया जाएगा?
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