

महाराष्ट्र में 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के मामले में एनआईए कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। एनआईए की विशेष अदालत ने केस से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। सबसे बड़ा सवाल फैसले के बाद यह है कि आखिरकार मालेगांव ब्लास्ट का असली आरोपी है कौन हैं?
मालेगांव ब्लास्ट (फाइल फोटो) Source: Internet
Mumbai: महाराष्ट्र में 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के मामले में एनआईए कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। एनआईए की विशेष अदालत ने केस से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। सबसे बड़ा सवाल फैसले के बाद यह है कि आखिरकार मालेगांव ब्लास्ट का असली आरोपी है कौन हैं?
साल 2011 में NIA ने शुरू की थी जांच
जानकारी दें कि 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इसके बाद मामले की जांच शुरू की। एनआईए की जांच के दौरान सात अभियुक्तों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद साल 2018 में मुकदमा शुरू किया हुआ।
कहां हुआ था ब्लास्ट?
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 की रात में मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ। इस बम ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे। इसके साथ ही 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
जांच में सामने आया कि एक बिजी चौराहे के पास एक मोटरसाइकिल पर लगा बम फटा था। इसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी फैल गई थी। बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट का मामला हाल के दिनों में सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मुकदमों में से एक रहा है।
कोर्ट के स्पेशल जज लाहोटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में कुछ आरोप अदालत ने खारिज किए हैं, जबकि कुछ को स्वीकार किया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जो सबूत अदालत के सामने आए, वह दोष सिद्ध करने के लिए काफी नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि कर्नल पुरोहित द्वारा आरडीएक्स लाने का कोई सबूत नहीं, पुरोहित ने बम बनाया था, इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं।
अदालत ने कहा कि इस मामले में UAPA लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोप बिना सोचे-समझे लगाए गए थे। साथ ही 'अभिनव भारत' के फंड का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किए जाने का कोई सबूत नहीं मिला है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा बिना किसी साक्ष्य के मजबूत कहानी गढ़ी गई और सिर्फ शक के आधार पर कार्रवाई की गई।