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रांची के सुकुरहुटू में पेट्रोल पंप की रोशनी में पढ़ाई करता 8 साल का एलेक्स और उसकी मां नूतन टोप्पो की यह कहानी संघर्ष, मां के त्याग और शिक्षा के जज्बे की अनोखी मिसाल है, जो हर किसी को प्रेरित करती है।
रांची न्यूज
Ranchi: रांची के सुकुरहुटू इलाके में स्थित रिंग रोड पर हर रात एक ऐसी तस्वीर उभरती है, जो संघर्ष, उम्मीद और मां-बेटे के अटूट रिश्ते की मिसाल बन चुकी है। चौधरी फ्यूल पेट्रोल पंप की तेज रोशनी में आठ साल का एलेक्स मुंडा पढ़ाई करता नजर आता है। उसके लिए यही पेट्रोल पंप उसकी क्लासरूम है, जहां किताबें हैं, कॉपी है और सबसे अहम उसकी मां नूतन टोप्पो का साथ है।
नूतन टोप्पो की जिंदगी आसान नहीं रही। पति के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर आ गई। दिनभर पेट्रोल पंप पर काम कर वह घर का खर्च चलाती हैं। थकान, आर्थिक तंगी और सामाजिक दबाव के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका मानना है कि हालात चाहे जैसे भी हों, बेटे की पढ़ाई से समझौता नहीं किया जा सकता।
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शाम ढलते ही पेट्रोल पंप की वही जगह एलेक्स के लिए पढ़ाई का केंद्र बन जाती है। नूतन टोप्पो बेटे को गणित के सवाल समझाती हैं, हिंदी की कॉपी चेक करती हैं और उसे आगे बढ़ने का हौसला देती हैं। कई बार बिजली नहीं होती, लेकिन पेट्रोल पंप की लाइट उनके लिए उम्मीद की किरण बन जाती है। नूतन कहती हैं कि अगर आज मेहनत नहीं की, तो कल पछतावा होगा।
एलेक्स मुंडा की उम्र भले ही कम है, लेकिन उसके सपने बड़े हैं। वह डॉक्टर या अफसर बनना चाहता है ताकि अपनी मां को आराम की जिंदगी दे सके। उसकी मासूम आंखों में आत्मविश्वास साफ झलकता है, जो मां की मेहनत और विश्वास से पैदा हुआ है।
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यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस सच्चाई को दिखाती है, जहां संसाधनों की कमी के बावजूद जज्बा कमजोर नहीं पड़ता। आदिवासी समुदाय से आने वाली नूतन टोप्पो ने साबित कर दिया कि शिक्षा के लिए महंगे स्कूल या आलीशान कमरे जरूरी नहीं होते, जरूरी होता है इरादा।