

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और जाने-माने वकील जेल सुलिवन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ट्रंप ने अपने परिवार के पाकिस्तान में व्यापारिक हितों के कारण भारत के साथ अमेरिका के मजबूत रणनीतिक संबंधों को नजरअंदाज किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और जाने-माने वकील जेल सुलिवन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ट्रंप ने अपने परिवार के पाकिस्तान में व्यापारिक हितों के कारण भारत के साथ अमेरिका के मजबूत रणनीतिक संबंधों को नजरअंदाज किया। सुलिवन, जो जो बाइडन प्रशासन में NSA रह चुके हैं, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह अमेरिका की बड़ी विदेश नीति की गलती है।
एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में सुलिवन से भारत-अमेरिका व्यापार संबंध, ट्रंप की विवादित कूटनीति और भारत-पाक संघर्ष को लेकर पूछे गए सवालों पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत के साथ दशकों की मेहनत से बने रिश्तों को ट्रंप ने व्यक्तिगत व्यापारिक लाभ के लिए किनारे कर दिया।
बातचीत के दौरान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र हुआ, जिसमें 26 निर्दोष तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू कर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। बाद में पाकिस्तान ने संघर्षविराम की अपील की और दोनों देश शांत हुए। लेकिन ट्रंप ने इस पूरी प्रक्रिया का श्रेय अपने हस्तक्षेप को देने की कोशिश की, जिसे सुलिवन ने "बिल्कुल असत्य" बताया।
इंटरव्यू में यह भी खुलासा किया गया कि ट्रंप परिवार की पाकिस्तान में बिटकॉइन से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियां चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर Apple के CEO टिम कुक भारत में फैक्ट्रियां स्थापित कर रहे हैं। सुलिवन ने सवाल उठाया कि जब बाकी वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, ट्रंप भारत से दूरी क्यों बना रहे हैं?
सुलिवन ने कहा “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। अमेरिका को तकनीक, प्रतिभा, सुरक्षा और चीन से निपटने के लिए भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका-भारत संबंध सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि भविष्य की वैश्विक स्थिरता के लिए ज़रूरी हैं।
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पूर्व NSA ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका अपने दोस्तों के साथ इस तरह का व्यवहार करता रहा, तो जर्मनी, जापान और कनाडा जैसे देश भी अमेरिका पर भरोसा करने से हिचकेंगे। उन्होंने कहा “अगर हमारे दोस्त यह मान लें कि वे किसी भी स्थिति में अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकते, तो यह अमेरिका के दीर्घकालिक हित में नहीं है।”
सुलिवन ने अमेरिकी कूटनीति की मूल भावना पर ज़ोर देते हुए कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत उसकी भरोसेमंद छवि है। भारत के साथ जो हो रहा है, उसका असर केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं रहेगा — यह वैश्विक साझेदारों की सोच और रणनीति को भी प्रभावित करेगा।