

चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-चीन और रूस के रिश्तों में बढ़ती नजदीकियां देखने को मिलीं। इस बीच, अमेरिका ने भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के संकेत दिए।
अमेरिका-भारत साझेदारी
Tianjin: 1-2 सितंबर 2025 को चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शांगहाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन ने वैश्विक राजनीति के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। इस सम्मेलन में भारत, चीन, रूस सहित अन्य एससीओ सदस्य देशों के नेताओं ने बैठक की, जो वैश्विक तनाव, खासकर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बीच हुई। अमेरिका का भारत के प्रति रुख अब नरम पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि भारत-चीन और रूस के बीच रिश्ते मजबूत हो रहे हैं।
अमेरिका और भारत के बीच के रिश्ते एक लंबे समय से लगातार विकसित हो रहे हैं, और हाल के घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच अब नजदीकियां और बढ़ी हैं। एससीओ शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी दूतावास ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया, जिसमें भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों की सराहना की गई।
अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट में लिखा, "अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है। यह 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है। इस महीने, हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार और उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक, यह हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच की स्थायी मित्रता ही है जो इस यात्रा को ऊर्जा प्रदान करती है।"
यह बयान इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत के साथ अपनी साझेदारी को और प्रगति की दिशा में देखता है। इस बयान में दोनों देशों के बीच नवाचार, रक्षा, और द्विपक्षीय संबंधों की अहमियत को भी बताया गया, और यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिका भारत को अपने रणनीतिक साझीदार के रूप में देखता है।
अमेरिका-भारत साझेदारी
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, चीन, और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियां भी चर्चा का विषय रही। अमेरिकी प्रशासन को यह देखा गया कि इन तीन देशों के बीच के रिश्ते और सहयोग मजबूत हो रहे हैं, जिससे वैश्विक राजनीति में एक नया समीकरण बन सकता है। विशेष रूप से चीन और रूस के साथ भारत के बढ़ते रिश्ते अमेरिका के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं, क्योंकि दोनों ही देश अमेरिका के वैश्विक रुख से असहमत हैं। भारत-चीन और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए अमेरिका ने भारत के प्रति अपने रुख को नरम किया है, और अब भारत को एक मजबूत साझीदार के रूप में स्वीकार कर रहा है। यह बदलाव वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि अमेरिका अब भारत के साथ एक पारस्परिक संबंध बनाने के लिए तैयार दिख रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच के व्यापारिक और रणनीतिक रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।
एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की, जैसे कि आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, और पर्यावरणीय संकट। विशेष रूप से अमेरिका द्वारा दुनिया के कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने से उत्पन्न तनाव के बीच यह सम्मेलन हुआ, जो दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था। एससीओ के सदस्य देशों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए एकजुटता दिखाई और इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक व्यापार को सामान्य करने के लिए सभी देशों को साथ आकर काम करना चाहिए।
अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले कुछ सालों में काफी सुधार हुआ है और यह अब एक "निर्णायक रिश्ता" बन चुका है, जैसा कि अमेरिकी दूतावास ने अपने ट्वीट में उल्लेख किया। अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में खासतौर पर नवाचार, उद्यमिता, रक्षा, और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदारियां देखी जा रही हैं। भारत और अमेरिका अब द्विपक्षीय संबंधों को नए स्तर तक पहुंचाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता को और भी मजबूत करेगा।