

नेपाल में युवाओं का विरोध अब उग्र और हिंसक रूप ले चुका है। युवाओं का विरोध सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ हिंसक हो गया है। वित्त मंत्री को पीटा गया, कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया और प्रधानमंत्री ओली ने पद छोड़ा।
नेपाल में जनता ने वित्त मंत्री को पीटा
kathmandu: नेपाल में युवाओं का विरोध अब उग्र और हिंसक रूप ले चुका है। सोशल मीडिया बैन, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन मंगलवार को काठमांडू समेत कई शहरों में हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों में आगजनी और तोड़फोड़ की। सबसे चौंकाने वाली घटना तब हुई जब वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया और उन पर लात-घूसे बरसाए गए। इस घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है।
विष्णुप्रसाद पौडेल नेपाल की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के उपाध्यक्ष हैं। हाल ही में वे तृतीय दहल मंत्रिमंडल में उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री थे। इसके अलावा वे कई बार अन्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 2021 में उपप्रधानमंत्री रहे, साथ ही गृह मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, जल मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का नेतृत्व किया। वित्त मंत्रालय उन्होंने दो बार (2020-21 और 2015-16) संभाला और जल मंत्रालय की जिम्मेदारी भी कई बार निभाई।
नेपाल में सड़कों पर उतरी जनता (Img: Google)
प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की। पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल प्रचंड और शेर बहादुर देउबा के आवासों को भी निशाना बनाया गया। इसके अलावा गृहमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घरों पर भी आग लगाई गई। पुलिस ने हालात काबू में करने की कोशिश की, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। गोलीबारी में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं।
हिंसा की घटनाओं और बढ़ते जनाक्रोश के चलते सरकार की नींव हिल गई। पहले गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने इस्तीफा दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी पद छोड़ दिया। यह साफ संकेत है कि प्रदर्शनकारियों का दबाव अब सरकार के लिए असहनीय हो चुका है।
नेपाल में यह विरोध प्रदर्शन केवल आर्थिक असंतोष तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले चुका है। बढ़ते जनाक्रोश और हिंसा ने देश की सरकार को कमजोर कर दिया है। प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद सत्ता खाली हो गई है और नई नेतृत्व व्यवस्था की तलाश शुरू हो चुकी है। आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीतिक स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो सकती है।
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नेपाल की जनता की मांग साफ है पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रशासन। लेकिन वर्तमान हालात में हिंसा और अराजकता ने लोकतंत्र के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। यह देखना होगा कि क्या नेपाल एक नई शुरुआत कर पाएगा या संकट और गहराएगा।