Nepal New PM: कौन बनेगा नेपाल का अगला प्रधानमंत्री? जानें किसका नाम आया सामने

नेपाल की राजधानी काठमांडू में जेन ज़ी के प्रदर्शन के बाद देश के प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अगले पीएम के नाम को लेके चर्चा शुरू हो गई है।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 9 September 2025, 3:51 PM IST
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काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू और देश के कई अन्य इलाकों में चल रहे प्रदर्शन के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी खबरें हैं कि वह देश छोड़कर दुबई जा सकते हैं। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि नेपाल का अगला पीएम कौन बनेगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कार्यकारी प्रधानमंत्री के पद के लिए काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम सामने आ रहा है।

कौन हैं बालेन शाह?

नेपाल में चल रहे प्रोटेस्ट के बीच, प्रदर्शन कर रही जनता की मांग है कि बालेन शाह को देश का अगला पीएम बनाया जाए। शाह एक प्रसिद्ध रैपर और इंजीनियर हैं, जिन्होंने अपनी जन-केंद्रित नीतियों से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उनका असली नाम बालेन्द्र शाह है, और वे वर्तमान में काठमांडू के मेयर के पद पर काम कर रहे हैं। मेयर के रूप में उनका कार्यकाल काफी सफल रहा है। उन्होंने शहरी विकास, स्वच्छता और सार्वजनिक सेवाओं में कई सुधार किए हैं। वह हमेशा से अपने काम में पारदर्शी और जनता के प्रति जवाबदेह रहे हैं, जिससे वह आज की जनरेशन के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।

युवा पीढ़ी में लोकप्रिय

वह किसी बड़े राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हैं, बल्कि एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीते हैं। उनकी सफलता का मुख्य कारण उनकी बदलाव लाने की अवधारणा है। उन्होंने बीते सालों में युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित किया है, विशेष तौर पर वो युवा, जो पारंपरिक राजनीति से ऊब चुके हैं। उनके समर्थक उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो नेपाल को नई दिशा दे सकता है। उनका मानना है कि बालेन शाह जैसे युवा और दूरदर्शी नेता ही देश की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

राजनीति में उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में एक मजबूत दावेदार बना दिया है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या वे राष्ट्रीय राजनीति में अपनी सफलता को दोहरा पाएंगे। अगर वे प्रधानमंत्री बनते हैं, तो यह नेपाल की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा। वे शायद देश के सबसे युवा प्रधानमंत्रियों में से एक होंगे और एक नई पीढ़ी के नेतृत्व को स्थापित करेंगे। पीएम पद पर उनके नियुक्त होने से पारंपारिक दलों की जगह स्वतंत्र और जन-केंद्रित नेताओं को पहचान मिलने के मौके बढ़ सकते हैं।

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