आतंक का गठबंधन! बलूचिस्तान में लश्कर-ISK ने मिलाया हाथ, ISI की जड़ों में पनप रहा नया खतरा

पाक सेना और आईएसआई ने बलूचिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और आईएसके का गठबंधन बनाया है, जो कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवादी हमले करने की योजना बना रहा है। इस गठबंधन का उद्देश्य बलूच विद्रोहियों और तालिबान के गुटों पर हमला करना है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 7 October 2025, 5:10 PM IST
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New Delhi: पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने हमेशा से आतंकवादी संगठनों को अपने क्षेत्रीय उद्देश्यों के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। अब बलूचिस्तान में एक नया और गंभीर खतरा सामने आया है, जो भारत और अफगानिस्तान के लिए बड़े खतरे का संकेत हो सकता है। लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आईएसके) ने मिलकर बलूच विद्रोहियों और अफगान तालिबान के कुछ गुटों पर हमले शुरू कर दिए हैं। इस गठबंधन के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है, जो इस साजिश को पंख लगा रही है।

आईएसके के समन्वयक की तस्वीर से सामने आई साजिश

हाल ही में एक लीक हुई तस्वीर ने इस साजिश की पोल खोल दी है। तस्वीर में आईएसके के बलूचिस्तान समन्वयक मीर शफीक मेंगल को लश्कर के वरिष्ठ कमांडर राणा मोहम्मद अशफाक को पिस्तौल देते हुए देखा गया। यह तस्वीर स्पष्ट रूप से दिखाती है कि आईएसआई सीधे तौर पर इस गठबंधन की मदद कर रही है। राणा अशफाक लश्कर के विस्तार में सक्रिय है और नए प्रशिक्षण केंद्र खोल रहा है।

Lashkar-e-Islam in Balochistan

बलूचिस्तान में लश्कर-ISK ने मिलाया हाथ

मेंगल का किलर स्क्वॉड और आईएसके के कैंप

मीर शफीक मेंगल एक पुराना आईएसआई एजेंट है। वह 2010 से बलूच राष्ट्रवादियों के खिलाफ एक किलर स्क्वॉड चला रहा है। 2015 से वह आईएसके के लिए हथियार, फंडिंग और सुरक्षित ठिकाने मुहैया कर रहा है। पाकिस्तान की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (जेआईटी) रिपोर्ट में भी उसका नाम शामिल है। आईएसआई ने 2018 तक बलूचिस्तान में आईएसके के दो मुख्य कैंप स्थापित किए थे: मस्तुंग और खुजदार जिले में।

आईएसके और लश्कर का गठबंधन

मार्च 2025 में बलूच विद्रोहियों ने मस्तुंग कैंप पर बड़ा हमला किया, जिसमें 30 आतंकी मारे गए। इसके बाद आईएसआई ने लश्कर को बुलाया और दोनों संगठनों ने मिलकर जवाबी हमला किया। जून 2025 में लश्कर के डिप्टी सैफुल्लाह कसूरी ने बलूच विद्रोहियों के खिलाफ जिहाद की शपथ ली। यह गठबंधन आईएसआई की छाया में काम कर रहा है और पाकिस्तान के क्षेत्रीय उद्देश्यों को पूरा कर रहा है।

लश्कर की पुरानी जड़ें और आईएसके का साथ

लश्कर-ए-तैयबा का बलूचिस्तान में इतिहास पुराना है। क्वेट्टा में लश्कर का एक कैंप 'मर्कज ताकवा' है, जहां अफगान युद्ध के वेटरन मियां सकीब हुसैन की कमान है। 2002-2009 तक यहां प्रशिक्षण केंद्र चलाए गए थे। अब लश्कर, आईएसके के साथ मिलकर बलूच विद्रोहियों पर हमला करने की योजना बना रहा है, जैसा कि अफगान जिहाद के दौरान अल-कायदा के साथ हुआ था।

पाकिस्तान का आतंकवादी तंत्र और दक्षिण एशिया में अस्थिरता

आईएसआई की मदद से लश्कर-आईएसके गठबंधन पाकिस्तान के आतंकवादी तंत्र को पूरी तरह से बदल रहा है। अब अलग-अलग विचारधारा वाले आतंकी संगठन एक हो रहे हैं, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने की कोशिश हो रही है। इस गठबंधन से अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा, जो क्षेत्रीय शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा

पाकिस्तान आईएसके को 'दाएश' (ISIS) कहकर दुनिया को भ्रमित करता है, जबकि वह खुद इसका इस्तेमाल अपनी रणनीतिक साजिशों को पूरा करने के लिए कर रहा है। भारत और अफगानिस्तान को इस बढ़ते खतरे से सतर्क रहना होगा, क्योंकि यह 'प्लॉजिबल डिनायबिलिटी' के तहत पाकिस्तान की छिपी हुई साजिश का हिस्सा है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 7 October 2025, 5:10 PM IST