

रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 26वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में व्यापार, ऊर्जा और परमाणु सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया। रूस से भारत को एलएनजी निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
डेनिस मंटुरोव और एस. जयशंकर (Img: Google)
New Delhi: भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। बुधवार, 21 अगस्त 2025 को रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की। इस बैठक में दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, विज्ञान, तकनीक और संस्कृति के क्षेत्र में आपसी सहयोग को विस्तार देने पर जोर दिया।
ऊर्जा सहयोग को लेकर बड़े संकेत
बैठक के दौरान मंटुरोव ने कहा कि रूस से भारत को तेल, कोयला और अन्य ऊर्जा संसाधनों का निर्यात लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि रूस अब भारत को LNG (Liquified Natural Gas) निर्यात की संभावनाओं को भी गंभीरता से देख रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।
मंटुरोव ने कहा, 'हम कच्चे तेल, तेल उत्पादों, तापीय ईंधन और कोयले का निर्यात कर रहे हैं। साथ ही, हम रूसी एलएनजी के निर्यात की संभावनाएं भी देख रहे हैं।'
परमाणु ऊर्जा और कुडनकुलम परियोजना
रूसी उप प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देश शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना को सफल उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य की परियोजनाओं में भी ऐसे ही सहयोग की उम्मीद की जा रही है।
स्थानीय मुद्राओं में व्यापार
दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए 90 प्रतिशत से अधिक लेन-देन अब राष्ट्रीय मुद्राओं में हो रहा है। यह डॉलर पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
क्या भारत-रूस साझेदारी को मिलेगी नई ऊंचाई?
बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'हमने व्यापार, ऊर्जा, कृषि, कौशल विकास, शिक्षा और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने पर चर्चा की। मुझे विश्वास है कि यह बैठक भारत-रूस की परंपरागत साझेदारी को और मजबूत बनाएगी।'
इस दौरान दोनों नेताओं ने IRIGC-TEC सत्रों के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर भी किए, जिसका विवरण दोनों देशों की सरकारें आगे साझा करेंगी।
क्या होगी आगे की रणनीति?
विदेश मंत्री जयशंकर तीन दिवसीय यात्रा पर रूस में हैं और इस बैठक को आगामी भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। बैठक में लिए गए निर्णयों से संकेत मिलता है कि दोनों देश आने वाले समय में अपनी रणनीतिक और ऊर्जा साझेदारी को और गहरा करेंगे।