

भारत में पले-बढ़े भानु अत्री ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी में पहले हिंदू और गैर-ईसाई पादरी के रूप में एक नया इतिहास रच दिया है। डार्टमाउथ स्थित ब्रिटानिया रॉयल नेवल कॉलेज से प्रशिक्षण प्राप्त कर वे अब एचएमएस ड्रेक में पदस्थ होंगे। अत्री अब नौसेना में काम कर रहे कर्मियों को धार्मिक और आध्यात्मिक सेवा प्रदान करेंगे।
भानु प्रकाश अत्री (Img: Google)
New Delhi: भारत के हिमाचल प्रदेश में जन्मे और पले-बढ़े भानु प्रकाश अत्री (उम्र 39 वर्ष) ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी में पहले हिंदू और गैर-ईसाई पादरी बनकर इतिहास रच दिया है। अत्री अब ब्रिटेन की नौसेना में सेवारत कर्मियों को धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने हाल ही में ब्रिटानिया रॉयल नेवल कॉलेज, डार्टमाउथ से औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर स्नातक किया है। वह कुल 150 नव-नियुक्त अधिकारियों में शामिल थे, जिनमें केवल दो पादरी शामिल हैं।
कौन हैं भानु प्रकाश अत्री?
भानु अत्री को हिंदू धार्मिक शिक्षाओं में वर्षों का अनुभव है और वे लंदन में एक हिंदू मंदिर भी संचालित कर चुके हैं। जहां आमतौर पर रॉयल नेवी के कैडेट्स को 29 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है, वहीं अत्री ने एक विशेष 13 सप्ताह का कोर्स किया। इसमें शामिल था-
अब कहां होंगे नियुक्त?
भानु अत्री को एचएमएस ड्रेक, डेवनपोर्ट नौसेना बेस पर पादरी के रूप में नियुक्त किया गया है। वे तटीय और समुद्री दोनों स्थानों पर हज़ारों नौसेना कर्मियों को आध्यात्मिक और कल्याणकारी सहयोग देंगे।
अत्री की प्रतिक्रिया
इस उपलब्धि पर अपने अनुभव को साझा करते हुए भानु अत्री ने कहा, "ब्रिटानिया रॉयल नेवल कॉलेज से स्नातक होकर बेड़े का पहला हिंदू पादरी बनना मेरे लिए गर्व की बात है। यह विविधता और समावेशिता की दिशा में एक मजबूत कदम है। मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है और मैं हिंदू समुदाय का सार्थक प्रतिनिधित्व करने के लिए तत्पर हूं।"
रक्षा मंत्रालय का समर्थन
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय (MoD) ने वर्ष 2023 में पहली बार हिंदू पादरी पद का सृजन किया था। MoD के हिंदू सलाहकार अनिल भनोट ने कहा, "हमने पंडित भानु अत्री को इस पद के लिए सबसे उपयुक्त पाया। उनके पास भारत से संस्कृत शास्त्रों में स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष योग्यता है।" भनोट ने यह भी कहा कि वे अधिक से अधिक ब्रिटिश हिंदू युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।
भारतीय जड़ों के साथ ब्रिटेन की सेवा
भनोट ने कहा, "हालांकि हमारी आध्यात्मिक भूमि भारत है, लेकिन हमारी कर्मभूमि ब्रिटेन है और रक्षा मंत्रालय हमारा सुरक्षा कवच है।"
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