

जर्मनी के संस्कृति मंत्री वोल्फगैंग वीमर ने हाल ही में Google पर टैक्स लगाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
गूगल (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: डिजिटल युग में Google और Meta जैसी कंपनियों ने पूरी दुनिया में अपनी पकड़ बना ली है। चाहे इंटरनेट सर्च हो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स या ऑनलाइन विज्ञापन – इन बड़ी कंपनियों का वर्चस्व हर जगह दिखाई देता है। लेकिन अब इनकी बढ़ती कमाई और बाजार पर एकाधिकार को लेकर यूरोप में सवाल उठने लगे हैं। जर्मनी ने ऐसे ही डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर 10% टैक्स लगाने की वकालत की है, जिससे आने वाले दिनों में इन कंपनियों को भारी वित्तीय चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
टैक्स लगाने की वकालत क्यों?
जर्मनी के संस्कृति मंत्री वोल्फगांग वाइमर ने हाल ही में इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि Google, Meta और अन्य बड़ी टेक कंपनियां जर्मनी से अरबों यूरो की कमाई करती हैं, लेकिन बदले में ना के बराबर योगदान देती हैं। न तो ये कंपनियां पर्याप्त टैक्स देती हैं और न ही स्थानीय स्तर पर कोई उल्लेखनीय निवेश करती हैं।
वाइमर का कहना है कि ये कंपनियां लोकतंत्र और विचारों की स्वतंत्रता के लिए भी खतरा बन रही हैं, क्योंकि वे कंटेंट को अपने हिसाब से नियंत्रित करती हैं और बाजार पर एकतरफा नियंत्रण बना रही हैं। ऐसे में 10% डिजिटल टैक्स लगाने का उद्देश्य सिर्फ राजस्व जुटाना नहीं, बल्कि डिजिटल पारदर्शिता और बाजार में संतुलन बनाए रखना भी है।
यूरोपीय संघ में डिजिटल टैक्स की बहस
जर्मनी का यह कदम अकेला नहीं है। यूरोपीय संघ (EU) के कई देश पहले से ही बड़ी टेक कंपनियों पर "डिजिटल सर्विस टैक्स" (DST) लगाने की मांग करते आए हैं। फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे देशों ने अपने-अपने स्तर पर डिजिटल टैक्स लागू किया है। अब जर्मनी ने इस बहस को और तेज कर दिया है।
EU में लंबे समय से यह मांग रही है कि जहां से डिजिटल कंपनियां कमाई करती हैं, वहीं टैक्स भी दें। लेकिन अमेरिका की टेक कंपनियां इसका विरोध करती रही हैं। खासकर ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका और यूरोप के बीच इस मसले को लेकर व्यापारिक तनाव बढ़ गया था।
बाजार पर एकाधिकार और समाजिक जिम्मेदारी
वाइमर का यह भी कहना है कि डिजिटल कंपनियों को सिर्फ मुनाफा कमाने की मशीन नहीं बनना चाहिए। उनके पास समाज के प्रति भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। जैसे पारंपरिक मीडिया को सरकारें सब्सिडी देती हैं ताकि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर सकें, वैसे ही डिजिटल मीडिया को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
Google और Meta जैसे प्लेटफॉर्म्स पर समाचार मीडिया की निर्भरता बढ़ती जा रही है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पर्याप्त राजस्व नहीं मिलता। डिजिटल टैक्स से प्राप्त राशि का उपयोग पारंपरिक मीडिया और लोकहित के कार्यों में किया जा सकता है।
क्या होगा आगे?
हालांकि अभी यह टैक्स प्रस्ताव शुरुआती चरण में है, लेकिन जर्मनी के इस रुख से यह स्पष्ट है कि यूरोप की सरकारें अब डिजिटल दिग्गजों की जवाबदेही तय करने के लिए गंभीर हैं। अगर EU स्तर पर यह टैक्स लागू होता है, तो Google और Meta को अपनी आय का 10% हिस्सेदारी टैक्स के रूप में देनी पड़ सकती है।
यह कदम न केवल टैक्स समानता लाएगा, बल्कि स्थानीय मीडिया और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। आने वाले महीनों में इस मसले पर यूरोपीय देशों के बीच गहन चर्चा और नीति निर्धारण की संभावना है।