

जापान में पहली बार महिला ने सर्वोच्च राजनीतिक जिम्मेदारी संभाली है। साने ताकाइची को संसद के निचले सदन ने प्रधानमंत्री चुना, जो रूढ़िवादी विचारों और चीन पर सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी।
साने ताकाइची बनीं पहली महिला प्रधानमंत्री
Tokyo: जापान विश्व में अपनी तकनीकी दक्षता और घटती जनसंख्या दर के लिए जाना जाता है, अब एक और ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए सुर्खियों में है। देश की संसद ने साने ताकाइची को पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में चुना है। यह जापान के राजनीतिक इतिहास में एक मील का पत्थर है, जहां अब तक शीर्ष नेतृत्व पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है। मंगलवार को संसद के निचले सदन में हुए मतदान के बाद ताकाइची को प्रधानमंत्री चुना गया।
साने ताकाइची को जापान की राजनीति में एक सख्त और रूढ़िवादी नेता के रूप में जाना जाता है। वे चीन पर अपने स्पष्ट और कड़े रुख के लिए मशहूर हैं। उनकी छवि एक राष्ट्रवादी नेता की रही है, जो पारंपरिक जापानी मूल्यों की हिमायती हैं। हालांकि वे महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन रही हैं, लेकिन उनके विचार कई सामाजिक मुद्दों पर परंपरावादी हैं।
साने ताकाइची बनीं पहली महिला प्रधानमंत्री
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प्रधानमंत्री बनने के साथ ही ताकाइची ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने घोषणा की है कि उनकी कैबिनेट में सात्सुकी कतायामा (Satsuki Katayama) को जापान की पहली महिला वित्त मंत्री बनाया जाएगा। कतायामा को अर्थव्यवस्था की गहरी समझ रखने वाली नेता माना जाता है। वे एलडीपी की वित्त और बैंकिंग प्रणाली अनुसंधान आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
साने ताकाइची के सामने प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद जापान की डांवाडोल अर्थव्यवस्था को स्थिर करना सबसे बड़ी चुनौती है। देश पिछले कुछ वर्षों से मुद्रास्फीति, मंदी और घटती क्रय शक्ति जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साने ताकाइची को उनके ऐतिहासिक चुनाव पर बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि जापान की प्रधानमंत्री चुने जाने पर साने ताकाइची को हार्दिक बधाई। भारत-जापान की विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मैं उनके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।
जापान की राजनीति और कॉरपोरेट जगत में महिलाओं की भागीदारी अभी भी सीमित है। जापान की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 20% से भी कम है और ज्यादातर बड़ी कंपनियों का नेतृत्व पुरुषों के हाथों में है। ऐसे में ताकाइची की यह जीत एक ग्लास सीलिंग तोड़ने वाला कदम मानी जा रही है।