बांग्लादेश की नई शिक्षा नीति पर बवाल, कट्टरपंथियों ने किया संगीत-नृत्य शिक्षक नियुक्ति का विरोध

बांग्लादेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव ने विवाद खड़ा कर दिया है। यूनुस प्रशासन इस पहल को बच्चों की रचनात्मक शिक्षा से जोड़कर देख रहा है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 18 September 2025, 2:55 PM IST
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Dhaka: बांग्लादेश की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों गहरे विवाद में फंसी हुई है। नोबेल पुरस्कार विजेता और मौजूदा प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस प्रशासन ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा है। सरकार का मानना है कि इस कदम से बच्चों को कला, संस्कृति और रचनात्मक शिक्षा से जोड़ा जा सकेगा। लेकिन इस फैसले के खिलाफ बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन लामबंद हो गए हैं।

कट्टरपंथी संगठनों का कड़ा विरोध

जमात-ए-इस्लामी, खिलाफत मजलिस और बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन जैसे संगठनों ने इस नीति का विरोध करते हुए दावा किया है कि कम उम्र में बच्चों को संगीत और नृत्य सिखाना धार्मिक शिक्षा को कमजोर करेगा। उनका कहना है कि इस कदम से बच्चे नास्तिक हो सकते हैं और अगली पीढ़ी का इस्लाम पर विश्वास कमजोर हो जाएगा।

इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश के अमीर सैयद रेजाउल करीम ने यहां तक कहा कि "संगीत और नृत्य बच्चों में भ्रष्टाचार और नैतिक पतन को बढ़ावा देंगे।" उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक प्राथमिक विद्यालयों में धार्मिक शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन सड़कों पर जारी रहेगा।

Bangladesh Controversy

संगीत-नृत्य शिक्षक नियुक्ति का विरोध

यूनुस प्रशासन पर सीधा हमला

कट्टरपंथी संगठनों ने यूनुस सरकार को सीधे चेतावनी दी है कि अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ तो बड़े पैमाने पर सड़क विरोध और आंदोलन किए जाएंगे। उनका दावा है कि यह नीति इस्लाम और कुरान की शिक्षाओं के खिलाफ है। संगठनों ने कहा कि अगर प्रशासन पीछे नहीं हटता तो पूरे देश में अस्थिरता बढ़ सकती है।

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शिक्षा नीति पर गहरी खाई

यह विवाद बांग्लादेश के समाज और राजनीति में शिक्षा और धर्म के बीच गहरी खाई को उजागर करता है। जहां यूनुस प्रशासन बच्चों को समग्र शिक्षा (Holistic Education) देने के पक्ष में है, जिसमें कला और संस्कृति को भी बराबर महत्व मिले, वहीं कट्टरपंथी समूह इसे धार्मिक मूल्यों पर हमला मानते हैं।

कई शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि कला और सांस्कृतिक शिक्षा बच्चों के मानसिक विकास और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। लेकिन विरोध करने वाले गुटों के अनुसार, यह शिक्षा व्यवस्था इस्लामिक सिद्धांतों से मेल नहीं खाती और देश की भावी पीढ़ी को गलत दिशा में ले जा सकती है।

भविष्य की दिशा तय करेगा विवाद

बांग्लादेश में यह विवाद केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक दिशा का भी है। अगर सरकार कला और संस्कृति आधारित शिक्षा पर अड़ी रहती है तो उसे कट्टरपंथी ताकतों से सीधा टकराव झेलना पड़ेगा। वहीं अगर वह पीछे हटती है तो शिक्षा व्यवस्था फिर से परंपरागत धार्मिक दायरे में सिमट सकती है।

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फिलहाल, यूनुस प्रशासन ने इस पर कोई नया बयान नहीं दिया है। लेकिन इतना तय है कि प्राथमिक विद्यालयों में कला शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव आने वाले दिनों में बांग्लादेश की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित करेगा।

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