

अफगानिस्तान में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 5.6 मापी गई। अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर आए इस भूकंप के झटके जम्मू-कश्मीर तक महसूस हुए। इससे पहले, एक सितंबर को अफगान में भी भूकंप ने तबाही मचाई थी।
अफगानिस्तान में आया भूकंप
Afghanistan: अफगानिस्तान में शुक्रवार को 5.6 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने इलाके को हिला कर रख दिया। अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा के पास स्थित इस क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जो न केवल अफगानिस्तान में बल्कि जम्मू-कश्मीर जैसे दूर-दराज़ क्षेत्रों तक भी पहुंचे। भूकंप के कारण जानमाल के नुकसान की खबरें अभी तक नहीं आईं, लेकिन यह घटना क्षेत्र के लिए चिंता का कारण बन गई है।
भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.6 मापी गई। यह पैमाना भूकंप के केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तीव्रता को मापता है। 5.0 से 5.9 की श्रेणी में आने वाले भूकंप अक्सर बड़ी क्षति नहीं करते, लेकिन इनकी तीव्रता महसूस होती है। इससे पहले, 1 सितंबर को नांगरहार प्रांत में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 800 लोगों की मौत हो गई थी और 2500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस प्रकार के भूकंप से न केवल भौतिक क्षति होती है, बल्कि यह क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण भी बन सकते हैं।
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पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है, जो समय-समय पर गति करती रहती हैं। जब दो प्लेट्स आपस में टकराती या रगड़ खाती हैं, तो उस ऊर्जा का विस्फोट भूकंप के रूप में होता है। यह घटना तब घटित होती है जब प्लेट्स के बीच तनाव अधिक हो जाता है और वह ऊर्जा मुक्त होती है। यही कारण है कि अफगानिस्तान और उसके आस-पास के क्षेत्रों में लगातार भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेट्स की सीमा पर स्थित है, जहां फॉल्ट लाइन्स सक्रिय हैं।
रिक्टर पैमाने 1 से लेकर 9 तक होता है, जहां 1 का मतलब होता है बहुत कम तीव्रता और 9 का मतलब सबसे अधिक तीव्रता। जब भूकंप 7 या उससे ज्यादा की तीव्रता का होता है, तो वह क्षेत्र के आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। अफगानिस्तान के भूकंप में 5.6 की तीव्रता थी।
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अफगानिस्तान के कई हिस्सों में पिछले कुछ वर्षों में भूकंप की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्र भूकंपीय दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में भूकंप के अलावा अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं, जिनसे बचाव के लिए सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठन राहत कार्यों को तेज कर रहे हैं। खासतौर पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा क्षेत्र में सक्रिय फॉल्ट लाइनों के कारण, यहाँ भूकंपों का खतरा ज्यादा रहता है।