

सुप्रीम कोर्ट ने कंगना रनौत की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। यह मामला किसान आंदोलन के दौरान की गई एक आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है।
कंगना रनौत की याचिका खारिज करने से किया इनकार
New Delhi: बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को किसान आंदोलन की एक बुजुर्ग प्रदर्शनकारी महिला मोहिंदर कौर द्वारा दायर मानहानि मामले में कंगना की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली। यह मामला साल 2021 के किसान आंदोलन के दौरान किए गए एक रीट्वीट से जुड़ा है। कंगना रनौत ने उस दौरान एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए दावा किया था कि आंदोलन में भाग लेने वाली बुजुर्ग महिला को पैसे देकर बुलाया गया है। उन्होंने उस महिला को शाहीन बाग की कार्यकर्ता बिलकिस बानो (जिसे "शाहीन बाग दादी" के नाम से जाना गया) बता दिया था। हालांकि, असल में वह महिला किसान आंदोलन की सक्रिय प्रतिभागी मोहिंदर कौर थीं।
कंगना ने उस ट्वीट में लिखा था कि हा हा हा यह वही दादी है, जिन्हें टाइम पत्रिका में सबसे पावरफुल भारतीय बताया गया था... और ये 100 रुपये में उपलब्ध हैं। पाकिस्तानी पत्रकारों ने शर्मनाक तरीके से भारत के लिए इंटरनेशनल पीआर को हाईजैक कर लिया है। हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने लोगों की आवाज उठाने की जरूरत है। इस टिप्पणी को लेकर मोहिंदर कौर ने बठिंडा कोर्ट में कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था। कंगना ने इस समन को रद्द करने की मांग की थी, जिसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
कंगना रनौत की याचिका खारिज करने से किया इनकार
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कोई साधारण रीट्वीट नहीं है। आपने अपनी ओर से भी मसाला डाला है। आपकी टिप्पणियों को सिर्फ एक रीट्वीट के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ट्वीट की व्याख्या को रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार नहीं की जा सकती। यह मामला ट्रायल कोर्ट के विचार के लिए उपयुक्त है।
कंगना के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि अभिनेत्री ने मोहिंदर कौर के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा था, बल्कि उन्होंने शाहीन बाग प्रदर्शन की 'बिलकिस दादी' को लेकर टिप्पणी की थी। वकील ने कहा कि यह एक सामान्य रीट्वीट था, जिसे कई लोगों ने साझा किया था।
हालांकि, कोर्ट कंगना के वकील की दलीलों से सहमत नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि हमें ट्वीट की सामग्री पर टिप्पणी करने के लिए न कहें, यह आपके केस को प्रभावित कर सकता है। यह फैसला निचली अदालत को करना है।
अब यह मामला वापस बठिंडा की निचली अदालत में जाएगा, जहां सुनवाई जारी रहेगी। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो कंगना को मानहानि कानून के तहत सजा या जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।