सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की शक्तियों पर सुरक्षित रखा फैसला, जानिये क्या कहा प्रेसिडेंशियल रेफरेंस को लेकर

सुप्रीम कोर्ट में 10वें दिन केंद्र सरकार ने राज्यपाल के विधेयक संबंधी अधिकारों पर अपनी दलील रखी, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल असंवैधानिक विधेयकों को रोक सकते हैं। इसके साथ ही पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पंजाब सरकार की दलील का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास विधेयक को मंजूरी देने के अलावा भी विवेकाधिकार हैं।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 11 September 2025, 2:29 PM IST
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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में 10वें दिन केंद्र सरकार ने राज्यपाल के विधेयक संबंधी अधिकारों पर अपनी दलील रखी, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल असंवैधानिक विधेयकों को रोक सकते हैं। इसके साथ ही पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पंजाब सरकार की दलील का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास विधेयक को मंजूरी देने के अलावा भी विवेकाधिकार हैं।

सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने कई बार स्पष्ट किया कि वह तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले पर अपील नहीं करेगा और केवल संवैधानिक प्रश्नों का उत्तर देगा। तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों ने इस आधार पर संदर्भ की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई कि तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले में इन सवालों के जवाब पहले ही दिए जा चुके हैं।

न्यायालय ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोक सकते हैं। न्यायालय ने टिप्पणी की कि यदि राज्यपाल विधेयकों को विधानसभा में वापस किए बिना रोक सकते हैं तो इससे निर्वाचित सरकार राज्यपाल की इच्छा पर निर्भर हो जाएगी।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने साफ किया कि राज्यपाल किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटते समय उसकी स्वीकृति न लेने की औपचारिक घोषणा भी करते हैं। केंद्र अनुच्छेद 200 के प्रावधान 1 के तहत लौटाए गए विधेयक के साथ भेजा गया राज्यपाल का संदेश पुनर्विचार के दायरे को निर्धारित करेगा।

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  • 11 September 2025, 2:29 PM IST