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बिहार चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव का वक्फ़ बोर्ड कानून को फाड़ने वाला बयान मुस्लिम वोटरों को सक्रिय करने की रणनीति माना जा रहा है। इसका उद्देश्य AIMIM के संभावित वोट बंटवारे को रोकना और मुस्लिम समुदाय को निर्णायक वोटर के रूप में प्रेरित करना है, जिससे राजद के चुनावी फायदे बढ़ें।
तेजस्वी यादव का वक्फ़ बोर्ड कानून पर बयान (फोटो सोर्स गूगल)
Patna: बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव का वक्फ़ बोर्ड कानून पर दिया गया बयान इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो वक्फ़ बोर्ड वाला कानून फाड़ देंगे। इस बयान ने एनडीए खेमे को हमलावर बना दिया और सोशल मीडिया पर राजनीतिक बहस तेज कर दी। एनडीए इसे संविधान विरोधी बता रही है, जबकि राजद इसे मुस्लिम मतदाताओं में जोश भरने का प्रयास मान रही है।
चुनावी रणनीति के मायने
विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी का यह बयान केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित चुनावी रणनीति का हिस्सा है। बिहार में उनके सामने दो बड़ी राजनीतिक चुनौतियां हैं। पहली, मुस्लिम वोटों का संभावित बंटवारा रोकना, खासकर AIMIM के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए। दूसरी, मुस्लिम समाज को यह संदेश देना कि वे सिर्फ प्रतीकात्मक मतदाता नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाले वोटर हैं।
मुस्लिम वोट बैंक को सक्रिय करना
राजनीति में अक्सर किसी निष्क्रिय या कम सक्रिय वर्ग को सक्रिय करने के लिए भावनात्मक मुद्दे उठाए जाते हैं। तेजस्वी का यह बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। उनका लक्ष्य उन बूथों में अधिकतम मतदान सुनिश्चित करना है, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक संख्या में हैं, ताकि कमजोर बूथों का नुकसान कवर किया जा सके।
रणनीति के विरोधाभास
चुनावी विश्लेषकों के अनुसार, तेजस्वी की यह रणनीति व्यावहारिक है, लेकिन इसमें विरोधाभास भी है। राजद अक्सर मुस्लिम समुदाय को सबसे बड़ा राजनीतिक सहारा मानती है, लेकिन सत्ता और टिकट वितरण में उन्हें सीमित हिस्सेदारी देती है। सीमांचल क्षेत्र को छोड़ दें, तो बिहार के कई मुस्लिम बहुल इलाकों में राजद ने यादव या गैर-मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारे हैं।
तेजस्वी यादव का वक्फ़ बोर्ड कानून पर बयान केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में मुस्लिम वोट बैंक को सक्रिय करने और चुनावी फायदे हासिल करने की रणनीति का हिस्सा दिखता है। एनडीए इसे संविधान विरोधी मान रही है, जबकि राजद इसे अपने वोटरों में जोश भरने का प्रयास बता रही है। यह बयान आगामी चुनावों में बिहार की राजनीतिक दिशा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।