बिहार चुनाव 2025: सत्ता की जंग चरम पर! कौन करेगा बिहार पर राज?

बिहार की सियासत इस वक्त अपने निर्णायक मोड़ पर है। विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल पूरे राज्य में गरमा गया है। दूसरे चरण के मतदान से पहले हर गली-मोहल्ले से लेकर सोशल मीडिया तक, एक ही सवाल गूंज रहा है “कौन बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री?”  क्या इस बार बिहार की राजनीति की दिशा बदलेगी?

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 10 November 2025, 7:10 PM IST
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Patna: बिहार की सियासत इस वक्त अपने निर्णायक मोड़ पर है। विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल पूरे राज्य में गरमा गया है। दूसरे चरण के मतदान से पहले हर गली-मोहल्ले से लेकर सोशल मीडिया तक, एक ही सवाल गूंज रहा है “कौन बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री?” क्या इस बार बिहार की राजनीति की दिशा बदलेगी? क्या जनता बदलाव की राह चुनेगी या फिर सुशासन पर भरोसा जताएगी? इन सवालों के जवाब 14 नवंबर को साफ होंगे, जब मतगणना के नतीजे सामने आएंगे।

हर परिवार को सरकारी नौकरी

इस चुनाव में महागठबंधन ने जनता को लुभाने के लिए एक बड़ा वादा किया हर परिवार को एक सरकारी नौकरी। तेजस्वी यादव का यह ऐलान युवाओं के बीच तेजी से चर्चा का विषय बन गया। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं के लिए एकमुश्त ₹30,000 की नकद सहायता देने का वादा भी किया।

महागठबंधन का मानना है कि यह पहल रोजगार, गरीबी और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर जनता का विश्वास जीतने में मदद करेगी। हालांकि, एनडीए ने इस वादे को “हताशा में किया गया कदम” बताते हुए इसे अव्यवहारिक कहा है।

NDA बनाम महागठबंधन

एनडीए ने अपने “संकल्प पत्र” में समग्र विकास, बुनियादी ढांचे के विस्तार, महिला सशक्तिकरण और किसान हितों पर फोकस किया है। उनका दावा है कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में “जंगलराज” का अंत हुआ और बिहार में सुरक्षा और स्थिरता लौटी।

एनडीए का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में 10 लाख नौकरियां दी जा चुकी हैं और आने वाले समय में एक करोड़ नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है। अब सवाल यह है कि क्या जनता इन वादों पर दोबारा भरोसा जताएगी या “नया बिहार” के नारे पर महागठबंधन को मौका देगी?

चुनावी प्रचार के बीच एक बार फिर वही पुराना मुद्दा उभर आया है जंगलराज बनाम सुशासन। महागठबंधन ने रोजगार और पलायन को मुद्दा बनाकर एनडीए पर निशाना साधा, तो एनडीए ने जवाब में लालू यादव के दौर को याद दिलाया। लालू यादव के रोड शो में उतरने के बाद भाजपा ने कहा कि “बिहार को फिर से भय के दौर में नहीं लौटने देना है।” एनडीए की रैलियों में “नहीं चाहिए कट्टा सरकार” और “फिर एक बार एनडीए सरकार” जैसे नारे गूंजे, जबकि महागठबंधन ने “बदलाव की लहर” को हवा दी।

प्रचार का रंग और जनता की नब्ज

महागठबंधन का प्रचार अभियान इस बार आक्रामक और युवा-केंद्रित रहा। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया, एआई वीडियो, मीम्स और बड़ी जनसभाओं के जरिये युवाओं, महिलाओं और गरीब तबके तक पहुंच बनाई। दूसरी ओर, एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी को आगे रखकर “विकास, सुरक्षा और स्थिरता” पर जोर दिया। ग्रामीण इलाकों में मोदी फैक्टर और नीतीश के सुशासन की छवि ने पकड़ मजबूत रखी है।

किस ओर जाएगा बिहार का भविष्य?

2025 का यह चुनाव सिर्फ सत्ता की अदला-बदली का नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाला चुनाव है। एक ओर महागठबंधन युवाओं के सपनों और बदलाव की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर एनडीए स्थिरता और विकास की निरंतरता का दावा पेश कर रहा है।  अब फैसला बिहार की जनता के हाथों में है  क्या बिहार फिर “सुशासन” की राह चुनेगा या “बदलाव” की दिशा में कदम बढ़ाएगा? एक बात तय है  इस बार बिहार बोलेगा, सोच-समझकर! पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को 18 जिलों की 121 सीटों पर हुई थी, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है। अब कुछ ही घंटे शेष हैं, और सियासी पारा अपने चरम पर है।

Location : 
  • Patna

Published : 
  • 10 November 2025, 7:10 PM IST