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मैनपुरी के भोगांव थाना क्षेत्र में प्रधान पर जमीन कब्जाने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित परिवार न्याय की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठा है। प्रशासन की चुप्पी ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है।
धरने पर बैठा पीड़ित परिवार
Mainpuri: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही मंचों से भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां दबंग भू-माफिया न सिर्फ सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं, बल्कि प्रशासनिक कार्रवाई के डर के बिना खुलेआम जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। ताजा मामला जनपद मैनपुरी के भोगांव थाना क्षेत्र का है, जहां एक पीड़ित परिवार न्याय की आस में कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठने को मजबूर हो गया।
यह मामला भोगांव थाना क्षेत्र के गांव दीवानपुर चौधरी का है। गांव के निवासी रामनरेश शर्मा अपने पूरे परिवार के साथ मैनपुरी कलेक्ट्रेट स्थित तिकोनिया पार्क में धरने पर बैठ गए हैं। परिवार का आरोप है कि गांव के ही प्रधान महाराज सिंह उनकी पैतृक जमीन पर जबरन कब्जा करवा रहे हैं।
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पीड़ित रामनरेश शर्मा के पुत्र चेतन शर्मा ने बताया कि वे पिछले करीब दो महीनों से जिलाधिकारी कार्यालय, तहसील और अन्य संबंधित अधिकारियों के यहां शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। चेतन शर्मा का कहना है कि कई बार आवेदन देने के बावजूद न तो जमीन की नाप-जोख कराई गई और न ही प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
परिवार का आरोप है कि गांव के प्रधान महाराज सिंह उनकी पैतृक भूमि से जबरन चकरोड निकलवा रहे हैं। पीड़ितों के अनुसार, पहले से मौजूद चकरोड लगभग 7 फुट चौड़ा है, लेकिन अब उनकी जमीन को काटते हुए इसे 12 फुट चौड़ा किया जा रहा है। इससे उनकी जमीन का बड़ा हिस्सा सड़क में चला जा रहा है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।
धरने पर बैठे परिवार का कहना है कि वे किसी विकास कार्य के विरोध में नहीं हैं, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर उनकी जमीन छीनी जा रही है। पीड़ित परिवार की मांग है कि पहले जमीन की न्यायसंगत नाप-तोल कराई जाए और उसके बाद ही कोई चकरोड बनाया जाए। परिवार ने साफ कहा है कि जब तक उनकी जमीन उन्हें वापस नहीं मिलती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
पीड़ितों के अनुसार, वे लोग सुबह 8:30 बजे से कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी बात सुनने नहीं पहुंचा। इससे पीड़ित परिवार में भारी नाराजगी और निराशा है।
75 वर्षीय रामनरेश शर्मा ने जब डायनामाइट न्यूज़ से बातचीत की, तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि यह जमीन उनके पूर्वजों की निशानी है और इसी जमीन के सहारे उन्होंने अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। आज उसी जमीन को दबंगई के बल पर छीना जा रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।