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लाल किले के पास हुए धमाके में मेरठ के ई-रिक्शा चालक मोहसिन की मौत हो गई। हादसे में अब तक 13 लोगों की जान गई है और जांच एजेंसियां सक्रिय हैं। परिवार ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है, जबकि दिल्ली-एनसीआर में हाई अलर्ट जारी है।
मेरठ के मोहसिन की कहानी
Meerut: दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए भीषण ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। यह विस्फोट शाम करीब 6:50 बजे हुआ, जिसने पूरी राजधानी को दहला दिया। जांच एजेंसियां अभी भी यह पता लगाने में जुटी हैं कि धमाके के पीछे आतंकी साजिश थी या नहीं। इस हादसे में मरने वालों में मेरठ के रहने वाले मोहसिन नाम के ई-रिक्शा चालक भी शामिल थे, जो अपने परिवार के लिए रोज मेहनत कर रहे थे।
मोहसिन, उम्र 35 वर्ष, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले थे। वह अपने परिवार के साथ पिछले दो सालों से दिल्ली के डिलाइट इलाके में किराए के मकान में रह रहे थे। रोजाना ई-रिक्शा चलाकर 500-600 रुपये कमाना ही उनके परिवार की आय का मुख्य जरिया था। सोमवार शाम वह एक सवारी को लेकर जा रहे थे, तभी लाल किले के पास उनकी गाड़ी विस्फोट की चपेट में आ गई। तेज धमाके के बाद मोहसिन की मौके पर ही मौत हो गई।
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करीब दो साल पहले मोहसिन अपने गांव मेरठ से दिल्ली आए थे। वह अपने छोटे बच्चों और पत्नी के साथ बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर राजधानी में बस गए थे। मोहसिन की शादी 10 साल पहले हुई थी और उनके दो छोटे बच्चे हैं। पड़ोसियों का कहना है कि मोहसिन बेहद मेहनती और शांत स्वभाव के इंसान थे। मोहसिन का पूरा परिवार मजदूरी करके अपना गुजारा करता है। उनके पिता रफीक मेरठ में एक हैंडलूम फैक्ट्री में मजदूर हैं और परिवार में कुल 11 बच्चे हैं।
मोहसिन की मौत की खबर जैसे ही उनके गांव पहुंची, पूरे इलाके में मातम छा गया। परिवार के सदस्य दिल्ली रवाना हो गए। लेकिन अब उनके शव को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मोहसिन की पत्नी और उसके मायके वाले चाहते हैं कि शव को दिल्ली के कब्रिस्तान में दफनाया जाए, क्योंकि मोहसिन वहीं रहते थे। वहीं, मोहसिन के पिता रफीक का कहना है कि बेटे को मेरठ में दफनाया जाएगा ताकि पूरा परिवार उसे अंतिम विदाई दे सके। दोनों पक्षों में बहस के बाद पुलिस और स्थानीय समाजसेवियों ने बातचीत से मामला शांत करवाने की कोशिश की।
मोहसिन की मौत के बाद उनका परिवार पूरी तरह टूट गया है। पिता रफीक ने कहा, “मेरा बेटा बहुत मेहनती था। उसने कभी किसी से कुछ गलत नहीं किया। वह अपने बच्चों के लिए दिन-रात काम करता था। अब उसके जाने के बाद हमारा सहारा ही खत्म हो गया है।” रफीक ने राज्य सरकार और दिल्ली प्रशासन से आर्थिक सहायता की मांग की है। उन्होंने कहा कि परिवार की स्थिति बहुत खराब है और अगर सरकार मदद नहीं करेगी तो बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलाना मुश्किल होगा।
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दिल्ली पुलिस ने इस धमाके को गंभीर सुरक्षा उल्लंघन मानते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है। एनआईए, एनएसजी और दिल्ली पुलिस की विशेष टीमें जांच में जुटी हैं। फोरेंसिक जांच में विस्फोट के लिए आईईडी के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां अब उस सफेद हुंडई i20 कार की उत्पत्ति, नंबर और मालिक की पहचान कर रही हैं जिसमें विस्फोट हुआ था।
इस विस्फोट के बाद दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। यूपी एटीएस और खुफिया एजेंसियां लगातार संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही हैं। रेलवे स्टेशन, मॉल, हवाई अड्डे और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अयोध्या के राम मंदिर परिसर और नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय की सुरक्षा में भी बढ़ोतरी की गई है।