गोला बाजार में ठेले वालों की गुंडई बरकरार, राहगीर परेशान, पुलिस बेबस

गोलाउपनगर के चंद चौराहे पर ठेले वालों की गुंडई थमने का नाम नहीं ले रही। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर: गोलाउपनगर के चंद चौराहे पर ठेले वालों की गुंडई थमने का नाम नहीं ले रही। व्यस्ततम चौराहे पर बेतरतीब ठेले लगने से राहगीरों का जीना मुहाल है। मंगलवार को एक राहगीर की बाइक ठेले से टकराने पर ठेले वालों ने उसे घेरकर बेरहमी से पीट दिया। बेचारा किसी तरह जान बचाकर भागा। यह कोई पहला मामला नहीं है; आए दिन रास्ता खाली करने की मांग पर ठेले वाले राहगीरों से झगड़ते और मारपीट करते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवादाता अनुसार चंद चौराहा, गोलाउपनगर का सबसे व्यस्त इलाका है, जहां कौडीराम, जिला मुख्यालय, तहसील, बड़हलगंज और उरुवा जाने वाले लोग वाहन पकड़ते हैं। बाजार और दो बैंकों के कारण यहां रोजाना करीब दो हजार लोगों की भीड़ रहती है। गर्मी के चलते स्कूल बंद होने से भीड़ कुछ कम है, लेकिन दिन चढ़ते ही हालात बदतर हो जाते हैं। सड़क किनारे टेंपो और ठेले बेतरतीब खड़े रहते हैं, जिससे पैदल चलना तक मुश्किल है।मंगलवार दोपहर के इस ताजा मामले में, एक राहगीर की बाइक ठेले से टकराई, जिसके बाद ठेले वालों ने उसे घेर लिया। बात बढ़ी तो आसपास के सभी ठेले वाले एकजुट होकर उस पर टूट पड़े।

सूचना मिलने पर गोला कोतवाली पुलिस फोर्स के साथ पहुंची, तब जाकर ठेले वाले लाइन में आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पंचायत का अतिक्रमण हटाओ अभियान भी बेअसर है। चार दिन पहले ही ईओ की अगुवाई में अभियान चला, लेकिन दो-तीन दिन बाद ठेले वाले फिर पुरानी जगह पर कब्जा जमा लेते हैं।

दो साल पहले एक भूखे शख्स ने ठेले से फल खाया तो उसे बेरहमी से पीटा गया, जिसका सिर फट गया। मामला थाने पहुंचा, लेकिन राजनीतिक दबाव में समझौता हो गया। पिछले साल तत्कालीन कोतवाल धीरेंद्र राय ने ठेले वालों पर सख्ती की थी, लेकिन नेताओं के दबाव और पुलिस की ढिलाई से स्थिति फिर बिगड़ गई।राहगीरों का कहना है कि पुलिस की पिकेट चौराहे पर तैनात रहती है, फिर भी ठेले वालों के हौसले बुलंद हैं।

सवाल उठता है कि आखिर कब तक यह गुंडई चलेगी और कब तक राहगीरों को इस तरह की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा? स्थानीय लोग प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।

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