

क्या माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद की जेल बदली जाएगी, एक बार फिर ये चर्चा जोरों पर है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बदल सकती माफिया के बेटे की जेल
प्रयागराज: नैनी केंद्रीय कारागार की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद के पास से रुपये मिलने की घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस बैरक को 'परिंदा भी पर न मार सके' वाली सुरक्षा का उदाहरण माना जाता है, वहां बंद एक हाई-प्रोफाइल कैदी के पास नकदी मिलना चौंकाने वाला है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, नकदी मिलने के बाद अली की बैरक या जेल बदलने की चर्चा भी जोरों पर है, लेकिन जेल सूत्रों के अनुसार, नैनी जेल के हाई सिक्योरिटी सेल से मुनासिब स्थान पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं नहीं है। अली को पहले हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था, लेकिन उमेश पाल हत्याकांड के बाद उसे वहां से हटाकर हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट कर दिया गया।
क्या है हाई सिक्योरिटी सेल और बैरक?
नैनी जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में कुल 12 कमरे हैं, जिनमें 6x8 फीट के लोहे की मजबूत राड वाले दरवाजे लगे हैं। एक कमरे में सिर्फ एक बंदी को रखा जाता है। वहीं हाई सिक्योरिटी बैरक में करीब 24 कमरे हैं, जिनमें 3-4 बंदियों के रहने की व्यवस्था होती है। इन दोनों इकाइयों में आतंकी, नक्सली, बांग्लादेशी और पीओके से संबंधित बंदी रखे जाते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यहां 24 घंटे निगरानी रहती है।
सवालों के घेरे में जेल प्रशासन
जानकारी के मुताबिक, सोमवार को अली अहमद से उसके अधिवक्ता ने मुलाकात की थी। इसके 24 घंटे बाद मंगलवार को डीआईजी ने अचानक उसकी बैरक की तलाशी ली और वहीं से नकदी बरामद हुई। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुलाकात के बाद इतने लंबे समय तक उसकी तलाशी क्यों नहीं हुई? जब सेल में हर समय सीसीटीवी कैमरे की निगरानी होती है तो रुपये अंदर कैसे पहुंचे?
सीसीटीवी कैमरे और कंट्रोल रूम पर भी उठे सवाल
जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के लिए एक अलग कंट्रोल रूम बनाया गया है। जहां हर समय बंदी रक्षकों की टीम निगरानी करती है। इसके बावजूद अली अहमद के पास नकदी पहुंच जाना सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक मानी जा रही है। फिलहाल मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों की पहचान की जा रही है।