तीन दिन बाद कैसे टूटी यूपी पुलिस की नींद? निक्की हत्याकांड से उठे कई सवाल

ग्रेटर नोएडा की निक्की दहेज हत्या मामले में पुलिस की तीन दिन तक निष्क्रियता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता को जलाकर मारने के आरोप में पति को एंकाउंटर के बाद पकड़ा गया, जबकि अन्य आरोपी अब भी फरार हैं। यह घटना कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताती है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 24 August 2025, 2:49 PM IST
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Greater Noida: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में 26 वर्षीय निक्की की दहेज के लिए हत्या का मामला तीन दिन तक पुलिस की अनदेखी का सबूत बनकर सामने आया। जब तक मृतका की हालत गंभीर हो चुकी थी, तब तक पुलिस की कार्रवाइयां मामूली नजर आ रही थीं। इस घटना ने न केवल पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून की कमी को भी उजागर किया है।

जानें कब और कैसे हुई घटना

21 अगस्त की शाम निक्की के साथ उसके पति और ससुराल वालों ने कथित तौर पर दहेज के लिए हिंसा की। निक्की को आग लगाई गई, जिसके कारण वह गंभीर रूप से झुलस गई। निक्की को पहले फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। हालांकि, निक्की की बहन कंचन ने घटना के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस की कार्रवाई में देरी हुई। तीन दिनों तक पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले पाई, जिससे आरोपियों को मौका मिला फरार होने का।

पुलिस की उदासीनता पर सवाल

अब यह सवाले पूछे जाने लगे कि आखिर क्यों तीन दिनों तक पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की? पुलिस के इस रवैये ने आम जनता में असंतोष और नाराजगी पैदा की है। आखिर कब तक ऐसे गंभीर मामलों को नजरअंदाज किया जाएगा? ग्रेटर नोएडा पुलिस पर सवाल उठे कि क्या महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को लेकर उनके पास पर्याप्त संसाधन और इच्छाशक्ति है?

आरोपियों की गिरफ्तारी और एंकाउंटर

शुक्रवार को आखिरकार पुलिस ने निक्की के पति विपिन को हिरासत में लिया, लेकिन उसने शनिवार को मेडिकल कराने के दौरान हिरासत से भागने का प्रयास किया। बाद में पुलिस की एंकाउंटर में विपिन के पैर में गोली लगी और उसे दोबारा पकड़ा गया। वहीं, निक्की के सास दया, ससुर सतवीर और देवर रोहित अभी भी फरार हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या, चोट पहुंचाने और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज किया है, लेकिन अभी तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

आखिर और कब तक

निक्की हत्याकांड एक बार फिर से दहेज प्रथा की घोर बर्बरता को सामने लाया है। यह सवाल उठता है कि कितनी महिलाएं हर साल इसी तरह के अत्याचारों का शिकार हो रही हैं और उनका न्याय कब होगा? सरकार और पुलिस को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करें और महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि रखें।

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