फर्जी दरोगा का 10 साल लंबा ड्रामा: पुलिस ही बन गया ठग, शादी के साथ ठगी और गिरफ्तारी तक की पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का रहने वाला एक युवक दस साल तक फर्जी सिपाही और दरोगा बनकर लोगों को ठगता रहा। उसने नकली वर्दी पहनकर शादी की, गाड़ियों से वसूली की और नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों की ठगी की। ससुराल तक को भनक नहीं लगी। आखिर एक छोटी सी गलती से उसका पर्दाफाश हुआ और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 28 August 2025, 12:27 PM IST
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Kaushambi: कहते हैं, झूठ के पांव नहीं होते। लेकिन कौशांबी जिले के आजाद सिंह जादौन नाम के युवक ने इस कहावत को एक दशक तक झूठा साबित कर दिया। साल 2015 से लेकर 2025 तक वह पहले फर्जी सिपाही और फिर फर्जी दरोगा बनकर ना सिर्फ लोगों को डराता रहा, बल्कि ठगी और धोखाधड़ी से मोटी कमाई भी करता रहा।

शुरुआत वर्दी से हुई

साल 2015 में आजाद सिंह ने खुद को एक सिपाही बताकर नाटक शुरू किया। थाने के पास एक कमरा लिया और वहां से वर्दी पहनकर रोज निकलने लगा। धीरे-धीरे वह इलाके में “पुलिस वाला” के रूप में जाना जाने लगा। लोगों से झूठ बोलकर और वर्दी के रौब से उसने अपनी फर्जी पहचान को मजबूत कर लिया।

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2020 में खुद को बताया दरोगा

पांच साल बाद यानी 2020 में आजाद ने खुद को दरोगा प्रमोट कर दिया। नई वर्दी सिलवाई, कंधे पर स्टार लगवाया और खुद को “इंस्पेक्टर साहब” कहने लगा। उसके फर्जी रुतबे के साथ-साथ उसका ठगी का दायरा भी बढ़ गया। अब वह गाड़ियों की वसूली, नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी और दबंगई में लिप्त हो गया।

पत्नी को भी नहीं था शक

2019 में सजेती के अमोली गांव के जयवीर सिंह ने अपनी बेटी सुजाता की शादी आजाद सिंह से कर दी। उन्होंने यही समझा कि बेटी एक पुलिस अफसर के घर जा रही है। सुजाता को भी शुरू में पति की सच्चाई का अंदाजा नहीं था। आजाद हर बार यही कहता था कि उसे “स्पेशल जांच” में रखा गया है, इसलिए थाने नहीं जाता।

साले को बनाया फॉलोवर

आजाद ने अपने साले सौरभ सिंह को भी अपने साथ जोड़ लिया। उसे अपना फॉलोवर बता कर साथ में गाड़ी पर बैठा ले जाता और मिलकर सड़कों पर गाड़ियों से वसूली करता। गांव में सौरभ खुद गर्व से कहता, “ये मेरे जीजा हैं, दरोगा साहब।” लोगों ने बिना जांच किए ही उन्हें असली पुलिस अफसर मान लिया।

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वसूली, नौकरी की दलाली और नकली चालान

आजाद ने लोगों से ये कहकर लाखों रुपये ऐंठे कि वह पुलिस में भर्ती करा देगा। कई गाड़ियों को रोककर चालान भी काटता, जबकि उसका पुलिस विभाग से कोई लेना-देना ही नहीं था। उसका इतना रुतबा बन गया कि ससुराल वाले भी आंख मूंदकर भरोसा करते रहे।

एक गलती ने खोल दी पोल

2025 में सजेती में चोरी की एक घटना के बाद जब थानाध्यक्ष अवधेश सिंह वहां जांच के लिए पहुंचे तो गांव वालों ने बताया कि एक दरोगा अक्सर यहां आता है और गाड़ियों से वसूली करता है। पुलिस रिकॉर्ड में उस नाम का कोई दरोगा नहीं था। जब नाम आजाद सिंह सामने आया तो अवधेश सिंह को शक हुआ, क्योंकि वह पहले इटावा में पोस्टेड रह चुके थे। इटावा से पुष्टि हुई- ऐसा कोई पुलिसकर्मी कभी नियुक्त ही नहीं हुआ।

वर्दी में पहुंचा थाने, लेकिन पर्दाफाश हो गया

आजाद को थाने बुलाया गया। वह बाकायदा वर्दी पहनकर अपने साले सौरभ के साथ पहुंचा। लेकिन थानेदार अवधेश सिंह ने उसकी हरकतों में कुछ गड़बड़ पाई। तलाशी में उसके पास से नकली वर्दी, बेल्ट, फर्जी बैज और पुलिस से जुड़े कई सामान बरामद हुए। पूछताछ में उसने कबूल कर लिया कि वह फर्जी दरोगा है।

गिरफ्तारी और खुलासा

पुलिस ने आजाद सिंह और उसके साले सौरभ को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि 2015 से वह फर्जी सिपाही और 2020 से फर्जी दरोगा बनकर ठगी कर रहा था। थानाध्यक्ष अवधेश सिंह ने बताया, "इसकी सबसे बड़ी चालाकी यही थी कि ये कभी थाने पर नहीं बैठता था और खुद को स्पेशल ड्यूटी पर बताता था।"

ससुराल और गांव में हैरानी

जब यह खबर ससुराल और गांव में फैली तो सभी हैरान रह गए। सुजाता के पिता जयवीर सिंह ने कहा, "हमें गर्व था कि बेटी दरोगा के घर गई है, लेकिन अब लगता है कि सबसे बड़ा धोखा हमें ही मिला है।" गांव में लोग अब यह सोचकर शर्मिंदा हैं कि उन्होंने कभी उसके दस्तावेज जांचने की जरूरत ही नहीं समझी।

Location : 
  • Kaushambi

Published : 
  • 28 August 2025, 12:27 PM IST