

आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है। जानिए पुरानी और नई कर व्यवस्था में क्या अंतर है और किस व्यवस्था से आपको कर में अधिक बचत हो सकती है। साथ ही जानिए रिफंड की स्थिति कैसे ऑनलाइन चेक करें।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: आकलन वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है। इस बार करदाताओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे अपनी आयकर रिटर्न पुरानी व्यवस्था के तहत दाखिल करें या नई व्यवस्था के तहत। सही विकल्प चुनना न सिर्फ कर भरने की राशि को प्रभावित करता है, बल्कि रिफंड मिलने की प्रक्रिया और समय को भी प्रभावित कर सकता है।
पुरानी कर व्यवस्था के तहत करदाताओं को कई छूट और कटौतियों का फायदा मिलता है, जिससे उनकी कर योग्य आय काफी कम हो सकती है। इस व्यवस्था में आयकर स्लैब कुछ इस प्रकार है-
₹2.5 लाख तक - कोई टैक्स नहीं
₹2.5 लाख से ₹5 लाख तक - 5%
₹5 लाख से ₹10 लाख तक - 20%
₹10 लाख से ऊपर - 30%
धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती, जिसमें पीपीएफ, ईएलएसएस, एलआईसी प्रीमियम, ट्यूशन फीस आदि शामिल हैं।
स्वास्थ्य बीमा के लिए 80डी कटौती।
वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए HRA (होम रेंट अलाउंस) और LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस) की छूट।
धारा 24बी के तहत ₹2 लाख तक आवास ऋण पर ब्याज की कटौती।
यह विकल्प उन करदाताओं के लिए उपयुक्त है जो अधिक निवेश करते हैं, घर का कर्ज चुकाते हैं या जिनके पास HRA जैसे अन्य लाभ होते हैं।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
नई व्यवस्था 2020 में शुरू हुई थी और वित्त वर्ष 2023-24 से इसे डिफ़ॉल्ट कर दिया गया है। इसमें कर दरें कम हैं, लेकिन कटौती और छूट सीमित हैं। इस व्यवस्था में स्लैब इस प्रकार है:
₹3 लाख तक - कोई टैक्स नहीं
₹3 लाख से ₹6 लाख - 5%
₹6 लाख से ₹9 लाख - 10%
₹9 लाख से ₹12 लाख - 15%
₹12 लाख से ₹15 लाख - 20%
₹15 लाख से ऊपर - 30%
इस व्यवस्था में ₹75,000 की मानक कटौती है, लेकिन HRA, LTA, 80C, या गृह ऋण ब्याज जैसी कोई छूट नहीं मिलती। यह सरल और कम अनुपालन वाली व्यवस्था है।
यह उन करदाताओं के लिए बेहतर विकल्प है जिनके निवेश कम हैं, जो किराए पर रहते हैं और जिन्हें जटिल कटौतियों से बचना है। ध्यान दें कि 2025 के बजट में नई व्यवस्था के लिए किए गए सुधार वित्त वर्ष 2026-27 से लागू होंगे, न कि इस वित्त वर्ष के लिए।
अपने आईटीआर दाखिल करने के बाद आप आसानी से रिफंड की स्थिति देख सकते हैं। इसके लिए:
आयकर विभाग की वेबसाइट (incometax.gov.in) पर लॉगिन करें।
ई-फाइल सेक्शन में जाकर 'आयकर रिटर्न' विकल्प चुनें।
अपनी फाइल की गई रिटर्न की स्थिति देखें।
आप NSDL के रिफंड स्टेटस पोर्टल पर भी पैन नंबर और आकलन वर्ष के आधार पर रिफंड की स्थिति चेक कर सकते हैं।
पुरानी व्यवस्था उन करदाताओं के लिए फायदेमंद है जिनके पास निवेश और छूट के दावे ज्यादा हैं। जबकि नई व्यवस्था सरल है और कम निवेश वाले करदाताओं के लिए उपयुक्त। आईटीआर दाखिल करने से पहले आयकर कैलकुलेटर का उपयोग करके दोनों विकल्पों की तुलना करना जरूरी है। याद रखें, अंतिम तिथि नजदीक है और सही विकल्प चुनने से आप कर की बचत के साथ ही तेजी से रिफंड भी पा सकते हैं।