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सोना दुनिया का सबसे महंगा और सुरक्षित निवेश क्यों माना जाता है? गोल्ड की कीमतें कैसे बढ़ती-घटती हैं और भारत में आज 24K, 22K गोल्ड का रेट क्या है जानिए सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक, इसका इतिहास और दिलचस्प तथ्य।
सोना इतना महंगा क्यों है (Img source: Google)
New Delhi: सोना सदियों से मूल्य, शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक रहा है। यह न केवल आभूषणों के रूप में पसंद किया जाता है, बल्कि दुनिया की सबसे सुरक्षित निवेश संपत्तियों में भी शामिल है। आज भी आर्थिक अस्थिरता से लेकर अंतरराष्ट्रीय तनाव तक हर बड़े बदलाव का असर सोने की कीमतों पर सीधे पड़ता है। यही कारण है कि गोल्ड को “सेफ हेवन एसेट” कहा जाता है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े सोना उपभोक्ता देशों में से एक है और यहां इसकी कीमतों में रोजाना उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। वर्तमान में 24 कैरेट (999) सोना ₹12,792 प्रति ग्राम, 22 कैरेट सोना ₹11,726 प्रति ग्राम और 18 कैरेट सोना ₹9,594 प्रति ग्राम के भाव पर बिक रहा है। वहीं चांदी की कीमत ₹169.10 प्रति ग्राम और ₹1,69,100 प्रति किलोग्राम है। ये सभी दरें प्रतिष्ठित ज्वैलर्स से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं और केवल सूचना के उद्देश्य से साझा की जाती हैं।
सोना दुनिया का सबसे महंगा मेटल इसलिए नहीं बना कि यह केवल दुर्लभ है, बल्कि इसलिए भी कि:
1. सीमित उपलब्धता
सोना पृथ्वी की सतह पर बेहद कम मात्रा में पाया जाता है। इसे निकालना कठिन, महंगा और समय लेने वाला काम है।
2. वैश्विक मांग
भारत, चीन, अमेरिका और मध्य पूर्व में सोने की भारी मांग रहती है। त्योहारों, शादियों और निवेश के चलते मांग लगातार बढ़ती रहती है।
3. सुरक्षित निवेश (Safe Haven)
मंदी, युद्ध, भू-राजनीतिक तनाव या मुद्रास्फीति बढ़ने पर लोग सोने में निवेश करते हैं। इससे इसकी कीमत तेजी से बढ़ जाती है।
4. डॉलर की मजबूती/कमजोरी
क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने का व्यापार डॉलर में होता है, इसलिए डॉलर के मजबूत या कमजोर होने का सीधा प्रभाव गोल्ड प्राइस पर पड़ता है।
5. महंगाई (Inflation) का कड़ा रिश्ता
जब भी किसी देश में महंगाई बढ़ती है, लोग अपनी पूंजी बचाने के लिए सोना खरीदते हैं। यही कारण है कि सोना लगातार एक सुरक्षित विकल्प बना रहता है।
1. अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतें
भारत में सोने का रेट वैश्विक मार्केट के भाव पर निर्भर करता है। यदि वहां कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में भी सोना महंगा होता है।
2. रुपये–डॉलर का उतार-चढ़ाव
यदि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो भारत में सोना महंगा हो जाता है even अगर अंतरराष्ट्रीय कीमत स्थिर हो।
3. आयात शुल्क और टैक्स
भारत सोना आयात करता है, इसलिए सरकार द्वारा लगाए गए आयात शुल्क, टैक्स और नीति परिवर्तन भी कीमतों को प्रभावित करते हैं।
4. त्योहार और शादी का मौसम
अक्टूबर से फरवरी के बीच मांग बढ़ने से गोल्ड प्राइस अक्सर उछाल लेता है।
5. आभूषण और उद्योगों में उपयोग
सोना दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक उद्योग में भी इस्तेमाल होता है जो मांग को और बढ़ाता है।
जहां सोने पर वैश्विक आर्थिक हालात का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, वहीं चांदी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय भावों के साथ-साथ भारतीय रुपये की चाल पर भी निर्भर करती हैं।