डाइनामाइट न्यूज़ का बड़ा असर: दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले प्रधानमंत्री जनऔषधि के CEO की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द

दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की बेंच में कल सुनवाई होनी है, और उससे ठीक कुछ घंटे पहले फार्मास्यूटिकल सचिव अमित अग्रवाल ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। पूरी खबर पढ़ें।

Post Published By: Subhash Raturi
Updated : 5 August 2025, 9:11 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत Pharmaceuticals & Medical Devices Bureau of India (PMBI) में CEO की नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता को लेकर देश के खोजी मीडिया समूह डाइनामाइट न्यूज़ ने 4 दिन पहले एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर का शीर्षक था, "प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के CEO की नियुक्ति सवालों के घेरे में, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका, फार्मा सचिव अमित अग्रवाल पर उठे सवाल"।

इस खबर के प्रकाशन के 100 घंटे के भीतर ही समूची नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है। देश भर में डाइनामाइट न्यूज़ ही एकमात्र ऐसा मीडिया समूह है जिसने इस नियुक्ति प्रक्रिया में की जा रही गंभीर अनियमितता से जुड़ी खबर प्रकाशित की थी।

फार्मास्यूटिकल सचिव अमित अग्रवाल की मनमानी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। इस याचिका की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष कोर्ट नंबर-01 में आइटम नंबर 52 के रूप में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के CEO की नियुक्ति सवालों के घेरे में, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका, फार्मा सचिव अमित अग्रवाल पर उठे सवाल

इससे ठीक पहले डाइनामाइट न्यूज़ को यह जानकारी दी गई कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि, "सभी संबंधितों को सूचित किया जाता है कि 24.4.2025 को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित उस रिक्ति परिपत्र, जिसमें भारत के फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer) पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे, को प्रशासनिक कारणों से रद्द किया जाता है।"

जनहित याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रही, बल्कि इसे एक विशेष उम्मीदवार को लाभ पहुंचाने की मंशा से प्रभावित किया गया। डाइनामाइट न्यूज़ की जानकारी के मुताबिक मई 2025 में इस पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। आवेदन की अंतिम तिथि पहले 23 मई थी, जिसे दो बार बढ़ाकर पहले 7 जून फिर 21 जून किया गया। याचिका में कहा गया है कि यह तारीख दिल्ली राज्य सरकार में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए की गई ताकि वे आवेदन कर सकें क्योंकि पहले की तिथियों में यह आवेदन नहीं भरा जा सका था। सभी आवेदन ऑनलाइन भरे जाने थे, लेकिन इस आईएएस के आवेदन को ऑफलाइन स्वीकार किया गया, वह भी अंतिम दिनों में। इस पर सवाल उठ रहे हैं। इस पद के लिए सरकारी, अर्धसरकारी तथा रक्षा क्षेत्र के 50 से अधिक अधिकारियों ने आवेदन किया था, लेकिन इंटरव्यू के लिए मात्र दो आवेदकों को ही बुलाया गया। इनमें से एक आईएएस और एक इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सर्विसेज के अफसर हैं।

याचिका में आरोप है कि इस आईएएस की प्रारंभिक अयोग्यता के बावजूद, उच्चाधिकारियों ने हस्तक्षेप कर उनकी उम्मीदवारी को फिर से मान्य कर दिया। जबकि इससे पहले विभागीय अधीनस्थ अधिकारी ने उन्हें अयोग्य घोषित किया था। इन दोनों आवेदकों का इंटरव्यू फार्मास्यूटिकल सचिव अमित अग्रवाल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने 30 जुलाई को लिया। शेष किसी आवेदक का क्या स्टेटस है, उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जा रहा है या नहीं, यह जानकारी भी किसी को नहीं दी गई। इंटरव्यू की तारीख तक आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई।

छत्तीसगढ़ कैडर के 1993 बैच के IAS अधिकारी और वर्तमान फार्मा सचिव अमित अग्रवाल की केंद्र में प्रतिनियुक्ति की पृष्ठभूमि भी ध्यान देने योग्य है। वे 2004 से 2013 तक लगातार 9 वर्षों तक UPA-1 और UPA-2 की सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव जैसे पदों पर कार्यरत रहे। 2014 में UPA सरकार के जाने से ठीक पहले वे अपने मूल कैडर लौटे और नई बनी मोदी सरकार में 2016 में पुनः प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आ गए। इसके बाद वे संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव (वित्तीय सेवा विभाग) जैसे प्रभावशाली पदों पर तैनात हुए। यानी, UPA सरकार के 10 वर्षों में 9 साल केंद्र में तैनात रहे और अब तक की मोदी सरकार के 11 वर्षों में भी वे 9 साल केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना भारत सरकार की एक प्रमुख जनकल्याणकारी योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में सस्ती, गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है। देशभर में 15,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं। इस योजना के CEO के पद पर 2014 बैच के IAS रवि दधीच लगभग साढ़े तीन साल तक 12 जून 2025 तक तैनात रहे। उनके स्थानांतरण के बाद से यह पद रिक्त है, जिससे इस योजना के संचालन पर असर पड़ रहा है। याचिका में मांग की गई है कि नियुक्ति प्रक्रिया को शून्य घोषित किया जाए और निष्पक्ष, पारदर्शी तथा समयबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से नए CEO की नियुक्ति की जाए। इस जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई होनी है।

नियुक्ति प्रक्रिया रद्द किए जाने के बाद अब पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 5 August 2025, 9:11 PM IST