प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के CEO की नियुक्ति सवालों के घेरे में, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका, फार्मा सचिव अमित अग्रवाल पर उठे सवाल

2004 से लेकर 2013 तक UPA-1 और UPA-2 के दौर में लगातार 9 साल तक PMO में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रहने वाले 1993 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अमित अग्रवाल की कार्यप्रणाली इन दिनों चर्चा में है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्सलिव

Post Published By: Subhash Raturi
Updated : 1 August 2025, 5:52 PM IST
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत Pharmaceuticals & Medical Devices Bureau of India (PMBI) में CEO की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।

यह याचिका मनोज कुमार राय द्वारा अनुच्छेद 226 और 227 के तहत दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रही, बल्कि इसे एक विशेष उम्मीदवार को लाभ पहुंचाने की मंशा से प्रभावित किया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ की जानकारी के मुताबिक मई 2025 में इस पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। आवेदन की अंतिम तिथि पहले 23 मई थी, जिसे दो बार बढ़ाकर पहले 7 जून फिर 21 जून किया गया। याचिका में कहा गया है कि यह तारीख दिल्ली राज्य सरकार में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया ताकि वे आवेदन कर सकें क्योंकि पहले की तिथियों में यह आवेदन नहीं भरा जा सका था।

सभी आवेदन आनलाइन https://recruitment.pmbi.in/ भरा जाना था लेकिन इस आईएएस के आवेदन को आफलाइन स्वीकार किया गया वह भी अंतिम दिनों में। इस पर सवाल उठ रहे हैं।

इस पद के लिए सरकारी, अर्धसरकारी तथा रक्षा क्षेत्र के 50 से अधिक अधिकारियों ने आवेदन किया था लेकिन इंटरव्यू के लिए मात्र दो आवेदकों को ही बुलाया गया। इनमें से एक आईएएस और एक इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सर्विसेज के अफसर हैं।

याचिका में आरोप है कि इस आईएएस की प्रारंभिक अयोग्यता के बावजूद, उच्चाधिकारियों ने हस्तक्षेप कर उनकी उम्मीदवारी को फिर से मान्य कर दी। जबकि इससे पहले विभागीय अधीनस्थ अधिकारी ने उन्हें अयोग्य घोषित किया था।

इन दोनों आवेदकों का इंटरव्यू फार्मास्यूटिकल सचिव अमित अग्रवाल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने 30 जुलाई को लिया। शेष किसी आवेदक का क्या स्टेटस है, इनको इंटरव्यू के लिए बुलाया जा रहा है या नहीं, यह जानकारी भी किसी को नहीं दी गयी। इंटरव्यू की तारीख तक आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गयी।

छत्तीसगढ़ कैडर के 1993 बैच के IAS अधिकारी और वर्तमान फार्मा सचिव अमित अग्रवाल की केंद्र में प्रतिनियुक्ति की पृष्ठभूमि भी ध्यान देने योग्य है। वे 2004 से 2013 तक लगातार 9 वर्षों तक UPA-1 और UPA-2 की सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव जैसे पदों पर कार्यरत रहे। 2014 में UPA सरकार के जाने से ठीक पहले वे अपने मूल कैडर लौटे और नई बनी मोदी सरकार में 2016 में पुनः प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आ गए। इसके बाद वे संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव (वित्तीय सेवा विभाग) जैसे प्रभावशाली पदों पर तैनात हुए। यानी, UPA सरकार के 10 वर्षों में 9 साल केंद्र में तैनात रहे और अब तक की मोदी सरकार के 11 वर्षों में भी वे 9 साल केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना भारत सरकार की एक प्रमुख जनकल्याणकारी योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में सस्ती, गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है। देशभर में 15,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं। इस योजना के CEO के पद पर 2014 बैच के IAS रवि दधीच लगभग साढ़े तीन साल तक 12 जून 2025 तक तैनात रहे। उनके स्थानांतरण के बाद से यह पद रिक्त है, जिससे इस योजना के संचालन पर असर पड़ रहा है।

याचिका में मांग की गई है कि नियुक्ति प्रक्रिया को शून्य घोषित किया जाए और निष्पक्ष, पारदर्शी तथा समयबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से नए CEO की नियुक्ति की जाए। इस जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई होनी है।

इस विषय में जब फार्मा सचिव अमित अग्रवाल से प्रतिक्रिया लेने के लिए डाइनामाइट न्यूज़ ने संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ। उनके कार्यालय में फोन किए जाने पर एक सहयोगी ने बताया कि "साहब मीटिंग में हैं।"

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