चुनाव आयोग का फुलप्रूफ प्लान: चार महीने में चरणबद्ध तरीके से होगी SIR प्रक्रिया, मीडिया अधिकारियों को किया प्रशिक्षित

चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की राष्ट्रीय स्तर पर तैयारी पूरी कर ली है। बिहार SIR में हुए विवादों से सीख लेते हुए आयोग ने गलत सूचनाओं पर नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मीडिया अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 12 September 2025, 9:53 AM IST
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New Delhi: भारत में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के अपने संकल्प को दोहराते हुए चुनाव आयोग (ECI) देशभर में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह प्रक्रिया अगले महीने से शुरू होने की संभावना है और इसे चार महीनों में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

पारदर्शिता और सूचना प्रबंधन पर जोर

चुनाव आयोग ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव संविधान के अनुरूप होते हैं और इससे जुड़ी सभी जानकारियां कानूनी, तथ्यात्मक और समय पर आम लोगों तक पहुंचे। मीडिया अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे SIR प्रक्रिया के हर चरण की प्रामाणिक जानकारी समय पर और समन्वयित तरीके से साझा करें, जिससे फर्जी या भ्रामक खबरों पर रोक लगाई जा सके।

SIR की चार चरणों वाली प्रक्रिया

1. पहला माह: मतदाताओं को गणना प्रपत्र वितरित किए जाएंगे, जिन्हें भरकर जमा करना होगा।
2. दूसरा माह: दस्तावेजों की जांच और फॉर्म अपग्रेड की प्रक्रिया चलेगी। नए मतदाता आवेदन कर सकेंगे।
3. तीसरा माह: मसौदा सूची जारी होगी। इसमें नाम जोड़ने, हटाने या सुधार करने के लिए आपत्तियां और सुझाव लिए जाएंगे।
4. चौथा माह: सभी आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

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BLO पर भरोसा

इस बार देशभर में कार्यरत 12 लाख बीएलओ (Booth Level Officers) को अहम जिम्मेदारी दी गई है। आयोग ने तय किया है कि एक बीएलओ औसतन 900 मतदाताओं का सत्यापन करेगा, जो एक माह में संभव माना जा रहा है।

दस्तावेजों में लचीलापन

चुनाव आयोग ने राज्यों को यह अधिकार दिया है कि वे अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार दस्तावेजों की सूची तय कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को दिए गए प्रमाणपत्र को भी वैध दस्तावेज माना जाएगा। सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी यह स्वतंत्रता दी गई है।

बिहार SIR से मिली सीख

बिहार में SIR की प्रक्रिया के दौरान कई विवाद और भ्रम की स्थिति पैदा हुई थी, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने टिप्पणी की थी। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग इस बार लिटमस टेस्ट के रूप में बिहार SIR की प्रस्तुति (PPT) सभी अधिकारियों को दिखा चुका है, ताकि अन्य राज्य वही गलतियां न दोहराएं। बिहार में वर्तमान में पुनरावलोकन प्रक्रिया चल रही है और आयोग ने 25 सितंबर तक दस्तावेज जमा कराने की अंतिम तिथि तय की है। इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद आयोग का राज्य दौरा होगा और अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बिहार चुनावों की घोषणा की जा सकती है।

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आयोग की अपील

चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के अधिकारियों से अपील की है कि वे SIR प्रक्रिया को सहज, पारदर्शी और विवादरहित बनाने में सहयोग करें। साथ ही मतदाताओं से भी आग्रह किया गया है कि वे समय पर अपने दस्तावेज और फॉर्म जमा करें ताकि किसी को भी मतदान से वंचित न रहना पड़े।

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