

बिहार चुनाव नजदीक है और दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान चरम पर है। जहां एनडीए में जीतनराम मांझी 15 सीटों की मांग पर अड़े हैं, वहीं चिराग पासवान के बयान संकेत दे रहे हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है।
मांझी और चिराग
Patna: बिहार में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही सियासी हलचल तेज हो गई है। 243 सीटों वाली विधानसभा में किसे कितनी सीटें मिलेंगी, इसको लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों में तनाव की स्थिति बन चुकी है। एनडीए में खासकर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने अपने तेवर तीखे कर दिए हैं। वहीं दूसरी ओर, एलजेपी (राम विलास) के चिराग पासवान ने भी इशारों में गठबंधन के अंदरूनी मतभेदों को उजागर किया है।
एनडीए में सीट बंटवारे की सबसे बड़ी टेंशन जीतनराम मांझी को लेकर है। वे साफ कर चुके हैं कि यदि उनकी पार्टी को 15 सीटें नहीं मिलती हैं, तो वे एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि बार-बार अपमान सहना अब संभव नहीं है। मांझी ने कहा कि हम नरेंद्र मोदी के चेले हैं। लेकिन अपमान का घूंट हर बार नहीं पिया जा सकता। अगर 15 सीट नहीं मिलीं तो हम चुनाव से दूर रहेंगे। बीजेपी की ओर से उन्हें सिर्फ 7-8 सीटों की पेशकश की गई है, जो मांझी को मंजूर नहीं। वे मानते हैं कि अगर 15 सीटें मिलती हैं, तो उनकी पार्टी 8-9 जीत सकती है, जिससे राज्य में उन्हें मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा मिल जाएगा।
मांझी और चिराग
मांझी ने तीखी भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि कुछ सहयोगी जो केवल 1-2 विधायक के बल पर गठबंधन में हैं, वे भी खुद को बड़ा नेता समझते हैं और ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। ये टिप्पणी चिराग पासवान या अन्य छोटे दलों की ओर इशारा हो सकती है।
हालांकि चिराग पासवान ने खुलकर नाराजगी नहीं जताई है, लेकिन उनके बयानों में साफ संकेत मिल रहे हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है। वे 30-40 सीटें चाहते हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें 20-25 सीटें ही देना चाहती है। वे उन विधानसभा क्षेत्रों की सीटें चाहते हैं, जहां 2024 में उनकी पार्टी ने लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन किया। चिराग बोले कि मेरी एक ही मांग है बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट। पद, सीट या नाराजगी की कोई बात नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हर कदम पर लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसे राजनीतिक हलकों में 'संकेतात्मक चेतावनी' के रूप में देखा जा रहा है।
बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर लगभग 205 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है। शेष बची 38 सीटें छोटे दलों में बंटेंगी। इसी को लेकर सभी सहयोगी दलों में खींचतान चल रही है।
• बीजेपी + जेडीयू: 205 सीटें
• हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (मांझी): 7-8 सीटें प्रस्तावित
• लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास): 20-25 सीटों की पेशकश
• अन्य छोटे दल: शेष सीटें
एनडीए की तरह महागठबंधन में भी सीटों को लेकर घमासान मचा है। RJD सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते 130 सीटें चाहती है, जबकि कांग्रेस 60-65 पर लड़ने की मांग कर रही है।
RJD का स्टैंड
कांग्रेस को 50-55 से ज्यादा सीटें नहीं देंगें।
कांग्रेस की मांग
60-65 सीटें और 2 दर्जन 'जीतने योग्य' सीटें।
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश साहनी 35-40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि 2020 में वे केवल 11 पर लड़े थे। साहनी ने डिप्टी सीएम पद की भी मांग की है, जिससे गठबंधन में तनाव और बढ़ गया है। लेफ्ट पार्टियां, खासकर CPI (ML), जो पिछली बार 19 सीटों पर लड़ी थी, इस बार 30 सीटें चाहती हैं। उनके नेता जोर देकर कह रहे हैं कि पिछले प्रदर्शन को देखते हुए सीटें बढ़ाई जानी चाहिए।
• RJD: 130 सीटें
• कांग्रेस: 50-55 सीटें
• VIP (मुकेश साहनी): 14-18 सीटें
• लेफ्ट पार्टियां: 30-32 सीटें
• JMM: 3 सीटें
• RLJP (पारस गुट): 2 सीटें
बिहार में दो चरणों में चुनाव होंगे 6 नवंबर और 11 नवंबर, जबकि 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। इससे पहले दोनों गठबंधनों को सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देना होगा। बैठकें लगातार जारी हैं और अगले 2-3 दिन में तस्वीर साफ हो सकती है।