कारगिल युद्ध में बाल-बाल बचे थे नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ

डीएन ब्यूरो

1999 में हुए कारगिल युद्ध में अगर भारतीय सेना का निशाना नहीं चूकता तो नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ नहीं बच पाते।

नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ
नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ


नई दिल्ली: 1999 में हुए कारगिल युद्ध के 18 साल बाद इस युद्ध से जुड़ी एक बड़ी बात सामने आई है। युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया था। अगर भारत का सटीक निशाना लगता तो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ नहीं बचते।

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 18 साल बाद यह बात सामने आई कि करगिल युद्ध के दौरान एक समय ऐसा आया, जब भारतीय सेना के निशाने से ये दोनों बाल-बाल बच गए। भारत सरकार के एक दस्‍तावेज से इस बात का खुलासा हुआ है। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच कारगिल युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुआ था।

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एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के मुताबिक करगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के जगुआर का निशाना चूक गया, नहीं तो नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ की मौत तभी हो गई होती।

खबरों की मानें तो भारत सरकार के दस्तावेज में कहा गया है कि “24 जून को जगुआर ACALDS ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा था, इसमें पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बास्केट में चिह्नित किया था लेकिन बम निशाने पर नहीं लगा। बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि हमले के समय पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ उस समय गुलटेरी ठिकाने पर मौजूद थे।”

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क्यों हुआ था कारगिल युद्ध

पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने एलओसी पार करके भारत की जमीन पर कब्‍जा करने की कोशिश की थी। जिसके बाद कश्मीर के कारगिल में दोनों देशों के बीच कारगिल युद्ध हुआ। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी थे, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।










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