Uttarakhand: राज्य के 6 राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग सख्त, थमाया ये नोटिस

राज्य के छह राजनैतिक दलों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर 15 दिन में दलों को जवाब देने को कहा।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 7 July 2025, 3:06 PM IST
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देहरादून: भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दरअसल, यह फैसला इस वजह से लिया गया है क्योंकि इन दलों ने साल 2019 से अब तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन दलों को चुनावी सक्रियता न के बराबर रही है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार निर्वाचन आयोग ने कहा कि ये सभी वे दल हैं जिन्होंने वर्ष 2019 से अब तक छह वर्षों में एक भी चुनाव में प्रतिभाग नहीं किया और इनके कार्यालयों का कोई भौतिक पता भी नहीं मिल पाया है। दलों को इस नोटिस का जवाब 21 जुलाई शाम पांच बजे तक देना होगा।

आयोग के निर्देशानुसार उत्तराखंड में वर्तमान में 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से कई दल ऐसे हैं जो पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों (आर यू पी पी) में बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में उत्तराखंड के छह ऐसे दलों की पहचान की गई है।

इन दलों की अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। देश में राजनैतिक दलों (राष्ट्रीय/राज्यीय/अमान्यता) का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य इस पूरे अभ्यास में राजनैतिक व्यवस्था का शुद्धिकरण एवं चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

इन दलों को दिया गया नोटिस 
1. भारतीय जनक्रान्ति पार्टी -  12/17 चक्खुवाला, देहरादून
2. हमारी जनमन्च पार्टी - 1/12 न्यू चक्खुवाला, देहरादून
3. मैदानी क्रान्ति दल - मस्जिद वाली गली, माजरा, देहरादून
4. प्रजा मण्डल पार्टी - बर्थवाल निवास, शीतला माता मन्दिर मार्ग, लोवर भक्तियाना श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल
5. राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी - 62 सिविल लाईन, रुड़की हरिद्वार
6. राष्ट्रीय जन सहाय दल - 112-न्यू कनॉट प्लेस, देहरादून

इन दलों को चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर इन दलों की ओर से कोई जवाब प्राप्त नहीं होता है, तो आयोग द्वारा उन्हें ‘डीलिस्ट’ करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, जिससे वह आयोग से मिलने वाली सुविधाओं, चुनाव चिह्न के आवंटन, टैक्स छूट और प्रचार-प्रसार में मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाएगा।

आयोग की इस पहल से ऐसे दलों की पहचान की जा सकेगी, जो केवल नाम के लिए पंजीकृत हैं लेकिन जनता और चुनावी प्रक्रिया में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे हैं।

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