

देहरादून की एक शांत बहती नदी आज अचानक चर्चा में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम उस नदी का पानी जांचने पहुँची है, लेकिन जांच की वजह पर चुप्पी साधी हुई है। अब सबकी निगाहें उस रिपोर्ट पर हैं, जो आने वाले दिनों में कई अनदेखे सच उजागर कर सकती है
सुसुवा नदी के जल में छिपा है गहरा राज
Dehradun: सोमवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक टीम ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र स्थित सुसुवा नदी के जल की गुणवत्ता मापने के लिए नमूने एकत्रित किए। यह कदम सुसुवा नदी में बढ़ते प्रदूषण के बीच उठाया गया है, जिससे नदी के आसपास रहने वाले इलाके और स्थानीय कृषि पर गंभीर असर पड़ रहा है। टीम ने नदी के विभिन्न स्थानों से जल नमूने एकत्रित किए और इन्हें दिल्ली स्थित प्रयोगशाला में भेजने के लिए तैयार किया।
सुसुवा नदी जो गंगा की सहायक नदी मानी जाती है, अब तेजी से प्रदूषित हो रही है। पिछले कुछ वर्षों में, बढ़ती आबादी और क्षेत्रीय विकास के कारण इस नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से, दूधली क्षेत्र में स्थित सुसुवा नदी का जल सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत था, लेकिन अब यह नदी प्रदूषण के कारण फसलों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और नदी के जल की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है। टीम द्वारा लिए गए जल नमूनों की प्रयोगशाला में जांच की जाएगी, जिससे नदी के जल में मौजूद विभिन्न प्रदूषकों का पता चल सकेगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने सुसुवा नदी के विभिन्न स्थानों से जल के नमूने एकत्रित किए। इन नमूनों को एकत्रित करने के बाद, टीम ने उन्हें विभिन्न जारों में सुरक्षित रखा ताकि वे प्रयोगशाला परीक्षण के लिए सुरक्षित पहुंच सकें। इस परीक्षण के दौरान यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि नदी के जल में कितने प्रदूषक मौजूद हैं, जो न केवल प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों और उनकी जीवनशैली पर भी असर डाल सकते हैं।
सुसुवा नदी के जल की गुणवत्ता की जांच के परिणाम जल्द ही सामने आएंगे, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि नदी के पानी का प्रदूषण किस हद तक बढ़ चुका है और इसके कारण किन पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने बताया कि इन परिणामों के आधार पर, नदी के जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। यह कदम जल स्रोतों के संरक्षण और आसपास के क्षेत्रों की सफाई के लिए हो सकते हैं।