Nainital News: जिला पंचायत के अधिवक्ता रवेन्द्र सिंह बिष्ट का इस्तीफा, अपहरण कांड से आहत

नैनीताल जिला पंचायत के अधिवक्ता रवेन्द्र सिंह बिष्ट ने 20 वर्षों के बाद इस्तीफा दिया, 14 अगस्त को हुए चुनावी अपहरण कांड और पुलिस की निष्क्रियता के कारण। उन्होंने इसे गंभीर लोकतांत्रिक संकट करार दिया और पद छोड़ दिया।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 19 August 2025, 9:18 AM IST
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Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल जिला पंचायत के अधिवक्ता रवेन्द्र सिंह बिष्ट ने 20 साल से अधिक समय तक जिला पंचायत के मामलों की पैरवी करने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बिष्ट का इस्तीफा एक ऐसी घटना के बाद आया, जिसने स्थानीय राजनीति में तहलका मचा दिया है। उन्होंने इस्तीफे का कारण 14 अगस्त 2025 को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान हुए एक भयावह घटनाक्रम को बताया।

बिष्ट ने अपने इस्तीफे में कहा कि चुनाव के दौरान पांच निर्वाचित सदस्यों का हथियारबंद लोगों द्वारा अपहरण कर लिया गया और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। यह घटना न केवल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली थी, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में भय का माहौल भी बन गया। बिष्ट ने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर संकट बताया और कहा कि ऐसी परिस्थिति में वह अपने पद पर बने रहने के योग्य नहीं समझते।

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बिष्ट का इस्तीफा: लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका
इस घटना ने बिष्ट को गहरे आघात पहुंचाया, क्योंकि उन्होंने पिछले 20 वर्षों में अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को निष्पक्षता और ईमानदारी से निभाया था। वे उत्तराखंड हाईकोर्ट और उत्तराखंड पब्लिक सर्विसेज ट्रिब्यूनल, नैनीताल बेंच में जिला पंचायत के मामलों की पैरवी करते रहे थे। बिष्ट के अनुसार, इस प्रकार की घटनाएं केवल एक व्यक्ति या एक दल की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली स्थिति बन जाती हैं।

चुनावी हिंसा और लोकतंत्र के लिए खतरा
चुनाव के दौरान हुई हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्षेत्र में राजनीतिक प्रक्रियाएं और चुनावी व्यवस्था अब खतरे में हैं। बिष्ट का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। बिष्ट का मानना था कि इस प्रकार की घटनाओं से केवल चुनावी प्रक्रिया ही प्रभावित नहीं होती, बल्कि इससे आम जनता का विश्वास भी टूटता है।

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इस घटना को लेकर स्थानीय निवासियों और नेताओं ने भी चिंता जताई है और प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के होते हुए भी अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या लोकतांत्रिक संस्थाएं सही तरीके से काम कर रही हैं।

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