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नैनीताल की मॉलरोड पर सीवेज सिस्टम की समस्या एक बार फिर बढ़ गई है। 110 करोड़ की सीवेज परियोजना में ठेकेदार ने पुरानी पाइपलाइन को रिपेयर करके नए जैसी दिखाने की कोशिश की, जिसके कारण ओवरफ्लो और मेनहोल के ढक्कन उठने की समस्या पैदा हो गई।
110 करोड़ की सीवेज परियोजना पर सवाल (सोर्स- गूगल)
Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल में सीवेज सिस्टम को सुधारने के लिए करीब 110 करोड़ की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब यह योजना सवालों के घेरे में है। स्थानीय लोगों और ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना में असल काम हुआ ही नहीं। ठेकेदार ने नई पाइपलाइन के बजाय पुरानी पाइपलाइन को ही रिपेयर कर दिया और उसे नया दिखाने की कोशिश की। नतीजतन, मॉलरोड पर सीवेज ओवरफ्लो और मेनहोल के ढक्कन उठने की समस्या फिर से सामने आई है।
यह योजना उत्तराखंड इंटीग्रेटेड एंड रेजीलियेंट अर्बन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की गई थी, जिसमें मॉलरोड से लेकर रूसी गांव के एसटीपी तक सीवेज पाइपलाइन को नया करना था। ठेकेदार ने दावा किया कि पुरानी पाइपलाइन के अंदर लेयर चढ़ाकर उसे नया जैसा बना दिया, लेकिन इसके बजाय पाइप का व्यास दो सेंटीमीटर कम हो गया। इससे सीवेज का दबाव बढ़ गया, जिससे ओवरफ्लो की समस्या और मेनहोल के ढक्कन उठने लगे।
एक और बड़ा आरोप यह है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को ऐसी जगह पर खड़ा किया गया है, जहाँ भूस्खलन हो सकता है। यह गंभीर लापरवाही है, क्योंकि यह क्षेत्र भूस्खलन के लिए जाना जाता है और किसी भी अप्रत्याशित घटना से शहर की सीवेज प्रणाली को खतरा हो सकता है।
नैनीताल में सीवेज योजना पर बवाल (सोर्स- गूगल)
यह परियोजना पहले 96 करोड़ में शुरू हुई थी, लेकिन बाद में इसकी लागत बढ़कर 110 करोड़ तक पहुंच गई। परियोजना का उद्देश्य मॉलरोड से लेकर रूसी बाईपास तक सीवेज प्रणाली को दुरुस्त करना था और एसटीपी की क्षमता को बढ़ाना था। एसटीपी की क्षमता 17.50 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) करने का लक्ष्य था, लेकिन अब यह योजना लापरवाह ठेकेदार की वजह से विवादों में घिर चुकी है।
मामला बढ़ने के बाद जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने जांच समिति का गठन किया है। समिति इस परियोजना की स्थिति और ठेकेदार की कार्यप्रणाली की जांच करेगी। स्थानीय लोग और पर्यटक भी इस समस्या से परेशान हैं, और अब प्रशासन को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर कार्रवाई की उम्मीद है।
इस सीवेज योजना में हुई गड़बड़ी से ना केवल मॉलरोड पर सीवेज ओवरफ्लो हो रहा है, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी समस्या बढ़ रही है। इस घटना से यह भी स्पष्ट हो गया है कि नगर निगम और ठेकेदार ने बिना उचित निरीक्षण के योजना को लागू किया, जिसका खामियाजा अब स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
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नैनीताल के नागरिकों को अब यह समझने की आवश्यकता है कि बिना उचित निगरानी और प्रशासन की जिम्मेदारी के शहर में ऐसी समस्याएं लगातार उत्पन्न हो सकती हैं। अधिकारियों को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आने वाले समय में इस तरह की परेशानियां फिर से उत्पन्न न हों।