

28 अगस्त की आपदा के बाद 16 दिन बाद मयाली-गुप्तकाशी-छेनागाड़ मोटर मार्ग छोटे वाहनों के लिए फिर से खुला। आपदा ने पूरे क्षेत्र को तबाह कर दिया था। अब स्थानीय लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
मयाली-गुप्तकाशी-छेनागाड़ मार्ग खुला
Rudraprayag: 28 अगस्त को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखंड में आई आपदा ने भारी तबाही मचाई थी। मूसलधार बारिश और बादल फटने से पूरा क्षेत्र तबाह हो गया था। इस आपदा ने ना केवल सड़क मार्गों को पूरी तरह से जाम कर दिया था, बल्कि कई गांवों और घरों को भी भारी नुकसान पहुंचाया था।
इस प्राकृतिक आपदा में 9 लोगों की जान चली गई थी, और अब तक मृतकों के शव भी नहीं मिल पाए हैं। घटना के बाद से ही जिला प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियां सर्च अभियान में जुटी हैं, लेकिन मलबे में दबे शवों को ढूंढने में कठिनाइयां आ रही हैं।
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मूसलधार बारिश और बादल फटने के कारण, मयाली-गुप्तकाशी-छेनागाड़ मोटर मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया था। यहां तक कि पैदल रास्ते भी पूरी तरह से बंद हो गए थे, जिससे क्षेत्र के नागरिकों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इन इलाकों के लोग अपने घरों को छोड़कर सरकारी स्कूलों और अन्य सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने पर मजबूर हो गए थे। लोग हर दिन नई समस्याओं का सामना कर रहे थे, क्योंकि घरों में दरारें आ गई थीं और कई घर पूरी तरह से ढह गए थे।
इस स्थिति को देखते हुए, सरकारी मशीनरी और प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी लाई और स्थानीय लोगों को हरसंभव सहायता देने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को 1200 करोड़ रुपये की आपदा राहत राशि देने का ऐलान किया गया, जिसे विभिन्न मदों में खर्च किया जाएगा।
आपदा के बाद, मयाली-गुप्तकाशी-छेनागाड़ मोटर मार्ग को पुनः चालू करना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि पूरी सड़क तहस-नहस हो चुकी थी। 16 दिन बाद, स्थानीय प्रशासन और निर्माण टीमों ने अथक मेहनत के बाद इस मार्ग को छोटे वाहनों के लिए खोलने में सफलता प्राप्त की। यह कदम क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि अब यातायात सुगम हो गया है और लोगों को अपने घरों तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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यह मार्ग खुलने के बाद, न केवल स्थानीय लोग बल्कि आपदा से प्रभावित अन्य क्षेत्रों के लोग भी राहत महसूस कर रहे हैं। अब महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुँचने में भी कोई रुकावट नहीं होगी। गौरतलब है कि इस मार्ग के बंद होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, खासकर गर्भवती महिलाओं और प्रसव पीड़ा वाली महिलाओं को हेलीकॉप्टर द्वारा रेस्क्यू किया गया था।