नैनीताल में मां नंदा देवी महोत्सव शुरू, श्रद्धा और परंपरा का अनूठा संगम; दर्शन के लिए उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

नैनीताल में माँ नन्दा देवी महोत्सव का शुभारंभ रिमझिम बारिश के बीच भक्तों की मौजूदगी और जयकारों के साथ हुआ। कदली वृक्ष से बनी प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पाँच सितंबर तक दर्शन होंगे। इसके बाद नगर परिक्रमा और नैनी झील में विसर्जन की परंपरा निभाई जाएगी।

Nainital: उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल की आस्था और सांस्कृतिक परंपरा का सबसे बड़ा प्रतीक माँ नन्दा देवी महोत्सव शुक्रवार को भव्य रूप में आरंभ हुआ। मंदिर प्रांगण में सुबह ब्रह्ममुहूर्त से ही पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ माता की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। रिमझिम बारिश के बीच भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ और हजारों भक्त "जय माँ नन्दा सुनन्दा" के जयकारे लगाते हुए दर्शन के लिए उमड़ पड़े।

इस महोत्सव की तैयारियाँ बीते कई दिनों से चल रही थीं। 29 अगस्त को धार्मिक परंपरा के अनुसार कदली वृक्ष लाने के लिए भक्तों की टोली रवाना हुई थी। इस वृक्ष की लकड़ी से ही कुशल कारीगरों द्वारा माँ नन्दा और माँ सुनन्दा की प्रतिमाएँ तैयार की गईं। विशेष बात यह रही कि प्रतिमाओं का निर्माण पूरी तरह ईको-फ्रेंडली सामग्री से किया गया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया गया है।

माँ नन्दा देवी महोत्सव का आयोजन राम सेवक सभा के तत्वावधान में हर वर्ष की तरह इस बार भी पारंपरिक रूप से किया जा रहा है। महोत्सव के तहत श्रद्धालुओं के लिए माँ नन्दा और माँ सुनन्दा के दर्शन 5 सितंबर तक होंगे। इसके बाद नियत तिथि पर नगर में भव्य शोभायात्रा (नगर परिक्रमा) निकाली जाएगी, जिसमें हजारों श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं। शोभायात्रा के बाद प्रतिमाओं को नैनी झील में विधिवत विसर्जित किया जाएगा।

मंदिर के पुजारी भगवत प्रसाद जोशी ने जानकारी दी कि यह महोत्सव केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय चेतना का भी प्रतीक बन चुका है। माँ नन्दा देवी को कुमाऊँ क्षेत्र की रक्षक देवी माना जाता है और इस महोत्सव में भाग लेना स्थानीय लोगों के लिए गौरव और श्रद्धा का विषय होता है।

नंदा देवी महोत्सव को लेकर नैनीताल पुलिस अलर्ट, सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम

महोत्सव के दौरान सुरक्षा, साफ-सफाई और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए प्रशासन और स्थानीय समितियों द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए हैं। श्रद्धालु भी पूर्ण अनुशासन के साथ उत्सव में भागीदारी कर रहे हैं, जिससे नैनीताल की गलियाँ एक बार फिर आस्था के रंग में रंग गई हैं। यह महोत्सव न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि कुमाऊँ की सांस्कृतिक आत्मा की अभिव्यक्ति भी है।

Location : 
  • Nainital

Published : 
  • 31 August 2025, 4:03 PM IST