

उत्तराखंड के कोटद्वार के श्रीकोट गांव में शुक्रवार रात एक ह्रदयविदारक घटना सामने आयी है। घटना से इलाके में कोहराम मचा हुआ है। लोगों में दहशत का माहौल है।
कोटद्वार में तेंदुए का आतंक
Pauri: उत्तराखंड में जंगली-जानवरों के इंसानों पर हमले के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। हाल ही में कोटद्वार के पोखड़ा रेंज के श्रीकोट गांव में शुक्रवार रात को एक गुलदार ने चार साल की बच्ची पर हमला कर दिया जिससे मासूम की मौत हो गई। बच्ची का शव घर से कुछ दूरी पर बरामद हुआ है। सूचना पर स्थानीय पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है। घटना से इलाके में दहशत फैल गई है।
गुलदार के हमले की शिकार बच्ची की पहचान रिया(4) पुत्री जितेंद्र रावत के रूप में हुई है।
जानकारी के अनुसार घटना रात करीब आठ बजे की है। बच्ची घर के आंगन में खेल रही थी इस दौरान घात लगाए गुलदार ने मासूम पर हमला किया और उसे झाड़ियों की तरफ घसीटता हुआ ले गया। इस दौरान परिजनों ने शोरगुल किया। शोर सुनकर ग्रामीण मौक पर जुट गए और सभी ने बची को ढ़ूंढना शुरू किया।
काफी देर तक ढूढने के बाद बच्ची का शव घर से कुछ ही दूरी पर मिल गया है। सूचना मिलते ही गढ़वाल वन प्रभाग के रेंजर नक्षत्र शाह टीम के साथ गांव के लिए रवाना हो गए हैं।घटना से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। आसपास के गांव के लोगों में दहशत का माहौल है।
ग्रामीणों ने वन विभाग के प्रति नाराजगी जतायी है। ग्रामीणों ने कहा कि गुलदार वनों में खुलेआम घूम रहे हैं। शाम ढलने के बाद अक्सर गुलदार गांव के आसपास घूमते देखे जाते हैं, लेकिन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जातेगुलदार ने मवेशी के अलावा इंसानों को भी निवाला बना चुका है।
बच्ची की मौत के बाद से बच्ची की घर में मातम पसरा हुआ है। घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग से आदमखोर गुलदार को जल्द पकड़ने की मांग की है।
सूचना पर गढ़वाल वन प्रभाग के रेंजर नक्षत्र शाह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। घटना के बाद से पूरे गांव में दहशत है, लोग बच्चों को घर से बाहर भेजने से डर रहे हैं।
क्यों बढ़ रहा है संघर्ष
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार जंगल में जंगली जानवरों के शिकार में भारी कमी आई है जिसके कारण आदमखोर जानवर रिहायशी इलाकोें में प्रवेश कर रहे हैं। मानव बस्तियों का फैलाव, सड़क, पर्यटन और भवन निर्माण से जंगल सिकुड़ रहे हैं। असंतुलित विकास जलविद्युत परियोजनाओं और खनन ने वन्यजीव आवास प्रभावित किए हैं। गांव-शहर के आसपास मवेशियों और कचरे पर निर्भरता से गुलदार बस्तियों की ओर खिंच रहा है।