छोटी सी उम्र में घर छोड़ निकल पड़े अध्यात्म की तरफ, आज सारा विश्व उन्हें बाबा नीम करोरी के नाम से जानता है…

बाबा नीब करौरी का जीवन आध्यात्म और गृहस्थ जीवन का अद्भुत संगम है। अकबरपुर के जन्मे इस संत ने तपस्या, सेवा और परिवार में संतुलन बनाकर करोड़ों भक्तों के लिए मिसाल कायम की। बाबा नीब करौरी न केवल एक संत थे, बल्कि आदर्श पति, पिता और पुत्र भी रहे। उनके पिता, वेदाचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा, अनुशासनप्रिय और विद्वान थे।

Nainital: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में 1900 में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा, जिन्हें बाद में बाबा नीब करौरी के नाम से जाना गया, आध्यात्म और पारिवारिक जीवन के संतुलन का प्रतीक थे। उनका जन्म मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था, और आज इसी तिथि को उनके जन्मदिन की याद मनाई जाती है।

बाबा नीब करौरी न केवल एक संत थे, बल्कि आदर्श पति, पिता और पुत्र भी रहे। उनके पिता, वेदाचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा, अनुशासनप्रिय और विद्वान थे, जबकि माता कौशल्या देवी धर्मपरायण और सादगीपूर्ण जीवन जीती थीं। बाल्यकाल से ही लक्ष्मी नारायण धार्मिक प्रवृत्ति, जिज्ञासा और करुणा से परिपूर्ण थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने बनारस में वेद और संस्कृत का गहन अध्ययन किया। माता के निधन के बाद उनका रुझान आध्यात्म की ओर और गहरा हो गया।

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बाबा का विवाह 11 वर्ष की आयु में रामबेटी से हुआ। किशोरावस्था में ही उन्होंने आध्यात्म की खोज के लिए घर छोड़ दिया। वर्षों तक उन्होंने साधना करते हुए जंगल, पर्वत और विभिन्न आश्रमों में जीवन बिताया। उनके गांव के भक्तों ने उन्हें नीब करौरी बाबा कहना शुरू किया, और यह नाम धीरे-धीरे बाबा नीब करौरी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

बाबा के घर से दूर रहने के दौरान रामबेटी ने तपस्विनी जीवन अपनाया। कई वर्षों बाद बाबा को उनके पिता पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा ने घर लौटाया और गृहस्थ जीवन की नई शुरुआत हुई। बाबा और रामबेटी की तीन संतानें—अनेग सिंह शर्मा, धर्मनारायण शर्मा और गिरिजा शर्मा—उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

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बाबा नीब करौरी के आश्रम भारत के कई हिस्सों में स्थित हैं। इनमें कैंची धाम, हनुमानगढ़ी, भूमियाधार, काकड़ीघाट, वृंदावन, पिथौरागढ़, पनकी मंदिर कानपुर, हनुमानसेतु लखनऊ, हनुमान मंदिर शिमला, दिल्ली महरौली, जौनपुर, धारचूला, जिब्ती, बीरापुरम, गर्जिला, बद्रीनाथ और ऋषिकेश शामिल हैं। ये स्थल उनकी शिक्षाओं और जीवन के आदर्श का प्रतीक बन चुके हैं।

बाबा नीब करौरी का जीवन यह सिखाता है कि आध्यात्म और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संतुलित रूप में निभाया जा सकता है। उनकी शिक्षा, सेवा और जीवन दर्शन आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

Location : 
  • Nainital

Published : 
  • 29 November 2025, 1:15 AM IST

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