

महायोजना 2041 पर पुनर्विचार किया जाए और बस अड्डे को हरिद्वार से बाहर स्थानांतरित न किया जाए।
हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में प्रस्तावित महायोजना 2041 और बस अड्डे के स्थानांतरण के फैसले ने व्यापारियों के बीच नाराजगी की लहर पैदा कर दी है। बुधवार को प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले अपर रोड पर जोरदार विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस आंदोलन का नेतृत्व जिला महामंत्री संजय ने किया, जबकि संचालन मंडल के संरक्षक तेज प्रकाश साहू ने संभाला।
सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी
जानकारी के मुताबिक, धरने में विभिन्न क्षेत्रों से व्यापारी प्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। व्यापारियों का कहना था कि हरिद्वार केवल एक सामान्य शहर नहीं है, बल्कि पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से विश्वभर में अपनी अलग पहचान रखता है। इसीलिए इसे मात्र एक "पर्यटक स्थल" की तरह देखना सरकार की भूल है।
गली-मोहल्ला धार्मिक महत्व
महामंत्री संजय ने कहा कि हरिद्वार की भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियां देश के अन्य शहरों से अलग हैं। यहां का हर गली-मोहल्ला धार्मिक महत्व से जुड़ा हुआ है। ऐसे में महायोजना 2041 के तहत बाजारों को गलियों से बाहर ले जाने और बस अड्डे को शहर से दूर स्थानांतरित करने का निर्णय यहां के व्यापार और धार्मिक पर्यटन दोनों के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी असुविधा
व्यापारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने पौराणिक महत्व और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखे बिना योजनाओं को लागू किया, तो इसका कड़ा विरोध होगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि बस अड्डे का स्थानांतरण न केवल व्यापार को प्रभावित करेगा बल्कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी असुविधा झेलनी पड़ेगी।संरक्षक तेज प्रकाश साहू ने कहा कि सरकार को जनता और व्यापारियों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
सरकार के लिए बड़ी चुनौती
हरिद्वार के विकास की योजनाएं यहां की परंपरा और धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए।व्यापारियों ने यह भी चेताया कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र रूप लेगा। धरना स्थल पर मौजूद व्यापारियों ने एकजुट होकर सरकार से अपील की कि महायोजना 2041 पर पुनर्विचार किया जाए और बस अड्डे को हरिद्वार से बाहर स्थानांतरित न किया जाए।इस विरोध प्रदर्शन ने साफ कर दिया है कि व्यापारी किसी भी कीमत पर अपने हितों और हरिद्वार की धार्मिक पहचान के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हैं। आने वाले समय में यह आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।