

हरिद्वार के सुमन नगर क्षेत्र में बह रही रतमऊ नदी इन दिनों खनन माफिया के लिए सोने की खान बनी हुई है। प्रशासन के नाक के नीच ये कारोबार चरम पर है।
रेत माफियाओं के हौसले बुलंद
Haridwar: जनपद के सुमन नगर क्षेत्र में बह रही रतमऊ नदी इन दिनों खनन माफिया के लिए सोने की खान बन चुकी है। प्रशासन की नाक के नीचे अवैध खनन का धंधा फल-फूल रहा है। रात के अंधेरे में यह धंधा चरम पर पहुंच जाता है।
शाम ढलते ही दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रालियां नदी में उतरती हैं और रातभर रेत-मिट्टी की लूट मचाई जाती है। इन ट्रालियों की आवाज रात के सन्नाटे में साफ सुनाई देती है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस के कानों तक यह आवाज नहीं पहुंच रही।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रेत-मिट्टी की यह लूट सीधे प्रॉपर्टी डीलरों को सप्लाई की जा रही है, जो इसे अवैध कॉलोनियों में भराव कार्य में इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि खनन माफियाओं को कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और पुलिसकर्मियों का संरक्षण प्राप्त है, जिससे यह अवैध कारोबार बिना रोक-टोक के जारी है।
सूत्रों की मानें तो खनन माफिया ‘एंट्री सिस्टम’ के जरिए काम करते हैं—जिनकी सेटिंग होती है, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती; और जिनकी नहीं होती, उनके वाहन जब्त कर दिए जाते हैं। यह भ्रष्ट तंत्र अब खुलकर सामने आने लगा है।
नवनियुक्त जिलाधिकारी द्वारा इस अवैध खनन पर शिकंजा कसने की कोशिश की जा रही है, लेकिन उनकी टीम में ही कुछ लोग इस काम में सहयोग करते पाए जा रहे हैं। वहीं, सुमन नगर चौकी में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों पर खनन माफिया से सांठगांठ के गंभीर आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ पुलिसकर्मी एक स्थानीय कारोबारी के साथ मिलकर दो ट्रैक्टरों में हिस्सेदारी भी कर चुके हैं।
क्षेत्रवासियों ने बताया कि प्रशासन की मिली भगत से ही अवैध रेत उत्खननकर्ताओं के हौंसले बुलंद हैं। वे धड़ल्ले से अवैध रेत उत्खनन के कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
यह न केवल प्रशासनिक नाकामी को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या अवैध खनन के खिलाफ ईमानदार कार्रवाई संभव है?
जनहित में यह आवश्यक हो गया है कि जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस पूरे मामले का संज्ञान लें, निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करें और सुमन नगर क्षेत्र को इस काले कारोबार से मुक्त कराएं।