

हरिद्वार की शिवालिक नगर पालिका परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रविवार को नगर का माहौल गरमा गया। डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
हरिद्वार: शिवालिक नगर पालिका परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रविवार को नगर का माहौल गरमा गया। नागरिकों के बीच नाराजगी उस समय खुलकर सामने आ गई जब निर्दलीय सभासद अमरदीप उर्फ रॉबिन के नेतृत्व में दर्जनों लोगों ने चेयरमैन राजीव शर्मा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का प्रयास किया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पालिका में वित्तीय अनियमितताओं और ठेकेदारों को नियमविरुद्ध भुगतान जैसे गंभीर भ्रष्टाचार हो रहे हैं, जिसमें चेयरमैन की सीधी संलिप्तता है। आरोपों के मुताबिक विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है और पारदर्शिता का अभाव है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार प्रदर्शन से पूर्व लोगों ने शिवालिकनगर क्षेत्र में पर्चे और पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक किया। लेकिन जब प्रदर्शनकारी रानीपुर की ओर बढ़े, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और स्थिति धक्का-मुक्की तक पहुंच गई।
स्थिति को बिगड़ते देख एसएसपी जितेन्द्र चौधरी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन एसएसपी को सौंपा। ज्ञापन में राजीव शर्मा के खिलाफ SIT जांच, पिछले तीन वर्षों के सभी विकास कार्यों की सार्वजनिक ऑडिट, और भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
सभासद रोबिन ने आरोप लगाया कि पालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, लेकिन विरोध प्रदर्शन की भी अनुमति नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा कि पालिका भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।
ज्ञापन में पालिका अध्यक्ष राजीव शर्मा पर अपने कार्यकाल में फर्जी टेंडर, बिना कार्य के भुगतान, मनमानी मरम्मत और ठेकेदारों से मिलीभगत के जरिए नगर निधियों का भारी दुरुपयोग के कई आरोप लगाए गए हैं।
सभासद अमरदीप ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार की परतें समय के साथ खुलती जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक संरक्षण के चलते कार्यवाही नहीं हो पा रही। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही निष्पक्ष जांच शुरू नहीं हुई, तो जनांदोलन तेज किया जाएगा।
स्थानीय जनता भी अब पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रही है। शिवालिकनगर में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब देखना होगा कि शासन और प्रशासन इस जनदबाव के आगे क्या कदम उठाता है।